डॉक्टर विद्यासागर उपाध्याय |
बलिया डेस्क। राजस्थान के महान दार्शनिक स्वर्गीय पण्डित गोपीनाथ व्यास स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत राव बिहारी पाल फाउंडेशन द्वारा डॉ मोहन सिंह मेहता सभागार जयपुर में "स्वामी विवेकानन्द वेदान्त दर्शन और आज का युवा तथा मृत्यु मीमांसा" विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित वेदविद्या मार्तंड विद्यावाचस्पति डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने सवा घंटे के उद्बोधन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने आदि शंकराचार्य के वेदान्त और स्वामी विवेकानन्द के नव्य वेदान्त का तुलनात्मक रूप प्रस्तुत करते हुए नर सेवा नारायण सेवा के प्रासंगिकता पर बल दिया।आज के युवा को धर्म का सही अर्थ आत्मसात करने हेतु धर्मशास्त्रों के सहज और सर्वग्राह्य भाष्य करने हेतु उपस्थित विद्वत समाज से मार्मिक अपील की।मृत्यु मीमांसा पर अपनी बात रखते हुए डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने कहा की जब आनंद आता है तो आंखे बंद होती हैं लेकिन जब परमानंद आता है तो आंखे सदा के लिए बंद हो जाती हैं।मृत्यु संसार का प्रवेश द्वार है।
पहली सांस और अंतिम सांस के बीच ही जीवन है।कोई भी सांस अंतिम सांस हो सकती है।आत्मसाक्षात्कार का सुनियोजित तरीका बताते हुए डॉ उपाध्याय ने वृहदारण्यक उपनिषद और ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम पूर्णात पूर्णमुदच्यते की विषद व्याख्या की।व्याख्यान के दौरान विद्वत परिषद के आग्रह पर व्याख्यान का समय तीन बार बढ़ाया गया।कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी,शिक्षाविद,साहित्यकार,पत्रकार व अन्य विद्वत जन ने दर्शन के गुढ़ तत्व को आत्मसात करते हुए डॉ उपाध्याय की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की।मुख्य अतिथि कमिश्नर श्री सुनील शर्मा IAS , प्रमुख अतिथि श्रीमती हेमपुष्पा IAS प्रमुख सचिव राजस्थान सरकार ,विशिष्ट अतिथि श्री भूपेश माथुर निदेशक कोष एवं लेखा राजस्थान सरकार एवं अध्यक्षता भारतीय सेना के उप सेनापति (मेजर जनरल) श्री दलीप सिंह राठौर ने किया।कार्यक्रम के संयोजक करौली रियासत के राव साहब श्री शिवराज पाल सिंह और सीनियर IAS श्री गोविंद देव व्यास ने राजस्थानी साफा स्मृति चिन्ह अंगवस्त्र पुष्पहार नारियल रुद्राक्ष रक्षासूत्र गंगाजल व गाय के गोबर से निर्मित मनमोहक राधा-कृष्ण प्रतिमा प्रदान कर, तथा मातृ शक्तियों ने तिलक अक्षत पुष्प इत्यादि से स्वागत किया।
विषय संदर्भित एक घण्टे के व्याख्यान के उपरांत आयोजक मण्डल और विद्वतपरिषद द्वारा डॉ विद्यासागर उपाध्याय को "देवगुरु वृहस्पति सम्मान" से अलंकृत किया गया। डॉ विद्यासागर उपाध्याय की इस उपलब्धि पर अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यकार डॉ विमला व्यास, डॉ प्रतिभा त्रिपाठी, प्रधानमंत्री कार्यालय प्रमुख शिव शरण पाठक, आनन्द स्वरूप शुक्ला,स्वामी आनंद स्वरूप,स्वामी मंजुलानंद, डॉ अशोक माथुर, डॉ जनार्दन राय,फत्तेह चंद बेचैन,राधेश्याम यादव,अविनाश मिश्रा आदि ने बधाई दी है।
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