बलिया डेस्क। सोमवार को भकपा माले व खेत मजदुर सभा के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता सिकन्दरपुर तहसील अंतर्गत स्थानीय कस्बे के गांधी आश्रम से मार्च करते हुए हजारों की संख्या में धरना देने तहसील पहुंचे,जहां एसडीएम सिकन्दरपुर द्वारा तहसील गेट को बंद करवा दिया गया।जिसके बाद भाकपा माले के कार्यकर्ताओं के आपति और विरोध करने पर आधे घंटे बाद तहसील गेट खोला गया। वहीं तहसील प्रांगण में धरना सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी के सदस्य श्री राम चौधरी ने कहा की तहसील बंद करना लोकतंत्र की हत्या है।
आगे उन्हों ने कहा कि हजारों करोड़ों रुपया सहारा में गरीब मजदूर किसान और व्यापारियों का जमा है सरकार की नीयत ठीक नहीं लगती है इसे सरकार तत्काल वापस करे।उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों की तरह यूपी सरकार पुराना बिजली बिल माफ करें और 300 यूनिट बिजली फ्री दे, मनरेगा में लूट बंद करे 200 दिन काम और ₹600 मजदूरी दे। महिलाओं पर उन्होंने कहा की प्रदेश में दलित महिलाओं व दलितों पर हमला तेज हो गया है। महंगाई आसमान छू रही है जनता परेशान है। गरीबों को माइक्रो फाइनेंस के कर्ज के जाल से मुक्त कर कर्ज देना चाहिए सरकारी बैंकों से कर्ज दे सभी गरीबों को। 50 किलो राशन तथा अन्य खाद्य सामग्री देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी गरीबों को आवास और उनके आवास के लिए जमीन की व्यवस्था करना होगा। विकलांगों को₹3000 प्रति माह पेंशन देना होगा खरीद, दरौली में घाघरा के कटान से आबादी को बचाने के लिए मजबूत ठोकर बनाना चाहिए।
वक्ताओं ने कहा कि सिकन्दरपुर तहसील के इलाके में कच्ची शराब की अवैध बिक्री तत्काल बंद होना चाहिए और इसमें संलिप्त लोगों की जांच कर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई हो।उन्होंने कहा कि सुखे से धान की फसल बर्बाद हो गई है,सिकन्दरपुर तहसील को सूखा घोषित किया जाए तथा किसानों को मौवावजा दिया जाए।
सभा को मुख्य रूप से भाकपा माले जिला सचिव लाल साहब भाकपा माले राज्य कमेटी के सदस्य वशिष्ठ राजभर वह भागवत बिन्द, राधेश्याम चौहान, लीलावती भारती, रेखा पासवान, लक्ष्मण यादव,शंभू राजभर,नागेंद्र राम,योगेंद्र राम,कमलावती,सुधीर पासवान,स्वामिन पासवान,धर्मेंद्र राजभर,सिमरिया राजभर,मीरा शर्मा,जितेंद्र पासवान आदि लोगों ने संबोधित किया।
अंत में राष्ट्रपति, प्रदेश के मुख्यमंत्री और 11 सूत्रीय मांग एसडीएम सिकन्दरपुर को दिया गया धरना की अध्यक्षता डॉ रमाकांत सिंह और संचालन भागवत बिना ने किया।
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