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अपनी मांगों को लेकर उप्र सीनियर बेसिक शिक्षक संघ ने दिया धरना

 

सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित मांग पत्र भेजा

बलिया डेस्क। वेतन विसंगतियों समेत विभिन्न मांगों को लेकर उप्र सीनियर बेसिक शिक्षक संघ ने मंगलवार को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर धरना दिया। बीएसए को मांग पत्र देने के साथ ही जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच कर मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजा। 

मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों ने कहा है कि छह नवम्बर 2019 को सचिव स्तर की बैठक में छह सूत्री मांगों पर सहमति बनी थी। जिसमें से तीन प्रमुख समस्याएं अभी तक निस्तारित नहीं हुई है। जबकि इनसे सबंधित पत्रावलियां बेसिक शिक्षा अनुभागतीन, वित्त वेतन अनुभाग तथा शिक्षा निदेशक के मध्य घूम रही हैं। उप्र सीनियर बेसिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय कान्हजी ने मांग पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों के सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार पुनरीक्षण के पश्चात् चयन या प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत होने पर वेतन निर्धारण का शासनादेश अभी तक जारी नहीं किया गया है। 


जबकि माध्यमिक तथा बेसिक शिक्षकों का किया जा चुका है। इसके अलावा सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में कार्यरत लिपिकों को ग्रेड वेतन 19 सौ के स्थान पर दो हजार का शासनादेश सभी कर्मचारी संवर्गों में निर्गत हो चुका है लेकिन सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के लिपिकों का शासनादेश निर्गत नहीं हुआ है। कहा कि सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के लिये एक जनवरी 2006 से लागू वेतन संरचना में सामूहिक बीमा की धनराशि बढ़ाये जाने का माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए शासनादेश आ चुका है। जबकि सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के लिपिक व कर्मचारियों का शासनादेश निर्गत नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इन मांगों पर शासनादेश जारी न होने से शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से लाभ नहीं मिल पा रहे हैं। 


जिससे शिक्षक व कर्मचारी परेशान हैं। कान्हजी ने मांग करते हुए कहा कि असहायिक 'अ' श्रेणी के मान्यता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों स्कूलों को अनुदानित किया जाय। वर्ष 2006 में अनुदानित विद्यालयों के 387 शिक्षकों और कर्मचारियों की वेतन अनुमन्यता का काफी दिनों से लम्बित प्रकरण विधान परिषद की प्रशासनिक व वित्तीय समिति द्वारा निस्तारित किया जाय। सेवा नियमावली 1978 संशोधित 2009 में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन कर प्रधानाध्यापक का पद अर्ह वरिष्ठ सहायक अध्यापक द्वारा प्रोन्नत से भरा जाय। शिक्षा अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त अशासकीय असहायिक विद्यालयों के छात्रों को भी मध्यान्ह भोजन और यूनिफार्म आदि की सुविधा दी जाए। 


बेसिक शिक्षा परिषद् के शिक्षकों और कर्मचारियों के तर्ज पर कैशलेस चिकित्सा की सुविधा मान्यता प्राप्त सहायिक जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों को भी अनुमन्य की जाय। असहायिक जूहा स्कूलों के विद्यालयों के विकास, साफ-सफाई व मरम्मत के लिए परिषदीय विद्यालयों की भांति कम्पोजिट ग्रांट की व्यवस्था की जाय तथा इन विद्यालयों को भी कायाकल्प योजना में भी शामिल किया जाय, क्योंकि इन विद्यालयों के पास किसी प्रकार की व्यवस्था संबंधी निधि नहीं है।


 इसके अलावा असहायिक मान्यता प्राप्त जूहा स्कूलों में त्रिभाषा योजना पुनः बहाल की जाय।


 इस अवसर पर प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के मंत्री वेदप्रकाश पांडेय, अनिल सिंह,  अशोक केसरी,  सुधीर उपाध्याय,श्यामनारायण सिंह,राजेन्द्र यादव,श्रीमती शारदा सिंह,उर्मिला सिंह,श्यामनारायण यादव,बैकुण्ठ नाथ पाण्डेय,पुष्पराज सिंह, राजेश सिंह,अभिषेक उपाध्याय मोनू,रामप्रताप सिंह,अनूप सिंह,विजय प्रताप ओझा, कमलेश तिवारी, अनिल उपाध्याय,दुर्गेश सिंह,रवि प्रकाश सिंह, रामप्रवेश यादव,दीनानाथ पाल, विनोद मिश्र,आदि थे

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