लखनऊ,उत्तर प्रदेश।न्यूज़ डेस्क। सीएम योगी आदित्यनाथ के जनपद आगमन के दौरान कार्यक्रम स्थल पर जाने की कोशिश करने वाले सपा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव व कार्यकर्ताओं की सीओ से नोकझोक व धक्कामुक्की प्रकरण की जांच करने के लिए नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी के नेतृत्व में सपा नेताओं का सात सदस्यीय दल रविवार को जिले में पहुंचा।
इस दौरान जिले के सपा नेताओं व प्रमुख लोगों से बातकर घटना के बारे में जानकारी ली। वहीं घटनास्थल पर जाकर अवलोकन किया। आसपास के लोगों से भी बात की। मीडिया से मुखातिब नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर नागरिकों के मूल अधिकारों से दमन का आरोप लगा।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी मिली है। भाजपा सरकार नागरिकों को मूल अधिकारों से वंचित कर रही है। रोजगार मांगने के लिए लखनऊ जाने वाले युवाओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों, रोजगार सेवकों, शिक्षामित्रो से मांग पत्र लेकर समाधान करने की बजाय पुलिस से लाठीचार्ज कराकर उन्हें घायलावस्था में वापस घर भेजा जाता है।
पांच दिसंबर को रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम तपोस्थली के शिलान्यास के लिए आए सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्रक देने जाते कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लक्ष्मणगढ़ में लाठीचार्ज किया।
यह सरासर गलत है। कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल से छह किलोमीटर दूर थे। जिले के किसी सक्षम अधिकारी को मौके पर पहुंचकर पत्र ले लेना चाहिए था। पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कर कार्यकताओं को घायल कर दिया। उन्होंने पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराने व घायल सपा कार्यकर्ताओ का मेडिकल मुआयना कराते हुए दोषी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि सरकार का दावा है कि अपराधी या तो जेल में हैं अथवा इनकाउंटर कर दिया गया है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रदेश में आए दिन अपराध कैसे हो रहा। सरकार को इस पर जबाब देना चाहिए। जांच समिति में शामिल नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मंत्री के साथ सुरेंद्र पटेल, राजनारायण बिंद, वीरेंद्र यादव, पूर्व सांसद रामकिशुन यादव, सत्यनारायण राजभर शामिल रहे।
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