छठ महापर्व पर श्रद्धालु महिलाओं को पूजा के लिए सूर्य देव को कैसे देअर्ग
बैरिया बलिया ।छठ उत्सव को अब महज कुछ दिन बचे हैं,लेकिन कोटवां गांव का मुख्य दोनों तलाव (पोखरा) की हालत अभी तक खास्ताहाल है। कूड़ा-कचरा और काई के साथ पूरा पानी गन्दगी से भरा पड़ा है। ऐसे में गांव से बाजार तक के हजारों लोग जो छठ पूजा करते हैं उन्हें महापर्व के समय काफी दिक्कत होगी।
लोगों का कहना है कि सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा समीप है। लेकिन कोटवां गांव का तलाव (पोखरा)का घाट की बदहाली का आलम यह है कि घास, फूस, जंगल, टूटा फूटा गंदगी से पटी है। श्रद्धालु महिलाओं को पूजा के लिए सूर्योदय के पहले ही कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्योदय का इंतजार करना पड़ता है। पानी में जाने का रास्ता भी नहीं है। इतनी गंदगी है कि व्रतियों को पानी में जाना तक परेशानी का सबब होगा।
तालाबों के सुंदरीकरण के नाम पर लूट फसोट.....
बलिया बैरिया।तालाबों के सुंदरीकरण के नाम पर लाखों रुपये भी खर्च कर दिए गए फिर भी कोई राहत नहीं मिली। बैरिया ब्लाक के ग्राम सभा कोटवां गांव के सन्त श्री सुदिस्ट बाबा के पास तालाब का बुरा हाल है।यह सन्त श्री सुदिस्ट बाबा का अति प्राचीन पोखरा हैं जो धार्मिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। इसके जीणोद्धार के लिए सिंचाई विभाग एवं जनप्रतिनिधिय द्वारा पैसा भी पास हुआ काम भी शुरु हुआ, उसके पश्चात काम बंद हो गया पोखरे को तहस -नहस कर दिया गया। बताया जाता है कि पहले यहां पर जानवर भी पानी पीने आते थे संत श्री सुदिष्ट बाबा के मेला में इसी पानी से जिलेबी बनती थी कोटवां, रानीगंज बाजार के लोग छठ पूजा करते हैं।लेकिन लगभग 4 वर्ष से चारो तरफ जंगल लगने की वजह से परेशानी हो रही है। गांव के लोग का कहना है कि समझ में नहीं आ रहा है कि छठ पूजा कैसे होगी।
गांव के लोगों द्वारा बताया गया कि इस तालाब के सुंदरीकरण के लिए बजट भी पास हुआ और यहां पर पौधे लगाने पर सहमति बनी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ वहां घास उग आई तालाब चरागाह हो गया। तालाब की खोदाई भी नहीं की गई जिससे उसकी गहराई नहीं हो सकी। गांव के रहने वाले लोग कह रहे हैं की यही पर कोटवा गाँव के लोगो का छठ पूजन होता है ।जो लगता है कि इस बार नही हो पाएगा , अगर होगा भी तो बहुत दिक्कत के साथ क्योंकि जहाँ पर माता की बेदी बनती है उसको तहस नहस कर दिया गया है।
वर्ष 2009-10 में आदर्श जलाशय का नाम बोर्ड लगा कर 9,99,000 ग्राम पंचायत के पुराने गड्ढों पर पोखरे को कागज में नया पोखरा बना दिया गया।
कोटवां ग्राम पंचायत मे गत वर्ष 2009-10 में मनरेगा के अंतर्गत जल संचय के लिए यहां के ग्राम पंचायतों में एक तालाबों का निर्माण करया गया जो की समाज का गड्ढा है मिट्टी के बर्तन बनाने वाला कुंभार को मिट्टी खोदने के लिए रखा गया है। जिसमें पूर्व प्रधान द्वरा एक बंधा देकर थोड़ा-बहुत काम कराने के बाद कागज में नए तालाब का निर्माण दिखाकर व बोर्ड लगाकर लाखों रुपये का हेर-फेर कर दिया गया। जो कि आज पूरा गांव का नाली व शौचालय का गंदा पानी उसी गड्ढा से होते हुए तलाब में जाता है और तालाब का अस्तित्व खतरे में है। इन तालाबों पर एक ही तरह से पक्के घाट बने बाकी वैसे ही हैं। वर्ष 2009-10 में आदर्श जलाशय का नाम देकर बोर्ड लगा दिया गया। उक्त बोर्ड पर अनुमानित लागत 9,99,000 रुपये लिख दिया गया। इसी तरह पुराने गड्ढे को कागज में नया पोखरा बना दिया गया।तालाब का काम शुरू हुआ तो एक आशा जगी थी पर कुछ भी विकास नहीं हुआ।
0 Comments