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एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव नें,विधायक द्वारा कोटेदारों पर लगाए गए आरोपों का किया खंडन



बलिया। एनएसयूआई के उत्तर प्रदेश के महासचिव नितेश सिंह ने विधायक के उस आरोप का खंडन किया कि कोटेदार लूट पाट कर रहे है। नितेश सिंह ने कहा कि बैरिया विधायक अपने काम की जाँच नही करा रहे है, उनके द्वारा कराया गया कार्यो में गुणवत्ता ही नही होती। सड़क का निर्माण कराते है उद्धघाटन से पहले सड़क उखड़ने लगती है। 

जिस काम के जाँच में जाते है ओ उस सड़क की गुणवत्ता खत्म हो जाती है। भाजपा सरकार में लाल बालू सोना से भी महंगा हो गया है। विधायक जी सिर्फ अपनी ही पार्टी के सांसद के कार्यो पर बयानबाज़ी करते है अपने कार्यो का क्या। द्वाबावासी उनको ईमानदार नेता जैसे नामो से बुलाती थी लेकिन क्या ईमानदार जी कभी पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की महगाई पर कुछ बोले है। अपने द्वारा किये गए कार्यो की जाँच कराए है?

  विधायक जी की नज़रों पर अब कोटेदार और प्रधान है की कमाई दिख रही है। कोटेदारों  एक कुंटल पर सत्तर रुपये कमिशन मिलता है। यदि किसी कोटेदार के पास 100(सौ कुंटल) अनाज आता है तो उसका कमिशन 7000 (सात हजार) होता है और इसी सात हजार में उसको गोदाम से अनाज लाने का किराया भाड़ा, छः रुपये कुंटल पालदारी गोदाम में और छः रुपये कुंटल पालदारी कोटेदार के यहाँ उतारने में खर्च हो जाता है।

 100 कुंटल पर 1200 रुपये पालदारी लग जाता और लगभग 1500 (दूरी के हिसाब से) किराया भाड़ा कोटेदारों को अपने कमिशन में से देना पड़ता है। जबकि यह सारा कार्य मार्केटिंग इंस्पेक्टर का होता है। तौल में भी बोरी रहित माप की जानी चाहिए लेकिन बोरी सहित माप की जाती है। कोटेदार को दुकान महीने में दस दिन खोलना है। अनाज वितरण कम से कम दो लोग मिलकर करते है उनकी मजदूरी भी नही आती है।

 इतना ही कोटेदार चोर है तो इनका कमिशन बन्द कर इनका वेतन निर्धारित करवा देना चाहिए। उनकी सरकार है बिल पास करवा देना चाहिये। लेकिन ऐसा नही करेंगे उनका काम है सिर्फ बोलना कुछ भी बोल कर बस चर्चा में बने रहे। नेता सीधे मार्केटिंग इंस्पेक्टर को नही बोल रहे है या यह भी हो सकता है कि मार्केटिंग इंस्पेक्टर मैनेज हो गए हो।

   नितेश सिंह ने कहा कि अब लोग भाजपा सरकार के नीतियों के खिलाफ मुखर होने लगे जिस महगाई और भरस्टाचार का आरोप लगा कर ये सत्ता में आये थे वही काम कर रहे है महंगाई की मार आम जनता झेल ही रही थी की क्रय केंद्रे पर गेहूं का क्रय न होने से बारिश में भीगने और बरबाद होने से और परेशानी बढ़ गयी है।



रिपोर्ट -नित्यानन्द सिंह

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