बलिया डेस्क ।।
जिले में मात्र 2 अस्पतालों को ( F.R.U )फस्ट रेफरल यूनिट का दर्जा प्राप्त है, इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रसड़ा तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर आता है।
जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर में सुविधाओं के नाम पर बहुत सारी कमियां हैं, विशेषज्ञ चिकित्सकों के जगह पर आयुष के B.A.M.S (आयुर्वेद) व B.H.M.S (होम्योपैथ) के डॉक्टरों की संविदा पर नियुक्ति हुई है।
बाकी के आयोग द्वारा लगभग 3 डॉक्टर M.B.B.S हैं तथा हाल ही में एक संविदा M.B.B.S डॉक्टर की नियुक्ति हुई है।
वहीं चिकित्सा अधीक्षक के जगह पर डॉ ए.के तिवारी बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। आखिर बिना विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा इस अस्पताल को कैसे (F.R.U) का दर्जा प्राप्त है। आखिर (बी.ए.एम.एस) व (बी.एच.एम.एस) डॉक्टरों द्वारा कैसे एलोपैथ का इलाज किया जा रहा है। यह कहां तक संभव है।
विदित हो कि महिला डॉक्टर के नाम पर डॉक्टर रमा तिवारी (बी.ए.एम.एस.) व डॉ भारती सिंह ( बी.एच.एम.एस.) उपलब्ध हैं।
जिनके द्वारा एलोपैथी दवा ही लिखी जाती है। इसके इलावा एक डॉक्टर ताहिरा तबस्सुम ( एम.बी.बी.एस.) आयोग द्वारा चयनित डॉक्टर हैं।
जिनकी ड्यूटी मात्र 2 दिन मंगलवार व शुक्रवार ही सिकन्दरपुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में लगाई जाती है।
इसी लिए कहा गया है नाम बड़े और दर्शन छोटे।
इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए सिकन्दरपुर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैशाखी के सहारे चलाया जा रहा है।
तो क्या ऐसे ही प्रधानमंत्री के स्वस्थ भारत का सपना पूरा होगा। जहां पर पूर्ण सुविधाएं नहीं मिल पातीं। इसकी वजह से मरीजों को काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने से मरीजों को दर दर भटकना पड़ता है।
यहां पर ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती संविदा पर है जो कि अपनी मनमानी ड्यूटी करते हैं जो अपना स्वयं का कारोबार भी इसी अस्पताल से करते हैं।
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