अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शनिवार को होने वाले समाधान दिवस के लिए जब मैं, सभागार में पहुंचा,तो वहां पर हो रहे शोर गुल को शांत करने के लिए मैंने अपील की,तदोपरांत शांति बनाए रखने के लिए कहा जिसकों,अन्यथा बातें करनी हो वह बाहर चलें जाएं , जिसको समाधान दिवस में शामिल होना हो वह रुके,
उन्होंने कहा कि मुझे वहां मौजूद लेखपाल बंधुओं ने अपना परिचय भी नहीं बताया और उठ कर चले गए। उनके जाने से यह प्रतीत नहीं हुआ कि नाराज होकर जा रहे हैं। मुझे पता नहीं था की ये लोग तहसील से आए लेखपाल थे।
डेस्क न्यूज़।
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