काल पड़ा सच्चाई का हाय कोरोना।
नाम नहीं अच्छाई का हाय कोरोना।।
फैली कालाबाजारी बाजारों मे।
जोर है काली कमाई का हाय कोरोना।।
जुल्म ओ सितम का चर्चा है, चारों तरफ।
आया दौड़ बुराई का हाय कोरोना।।
जहर तआस्सुब का हर सुअ फैल गया है।
नाम नहीं है, भलाई का हाय कोरोना।।
नाम पे हिंदू मुस्लिम के होती है सियासत।
भाई है दुश्मन भाई का हाय कोरोना।।
सिर्फ़ दुआ का आसरा है, सूफिया अब।
असर नहीं है दवाई का हाय कोरोना।।
लेखिका
सूफिया महमूद
रिसर्च स्कॉलर (कोलकाता)
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