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आज की आवश्यकता खेती में विविधीकरणः प्रो. रवि प्रकाश




बलिया। आज की आवश्यकता खेती में विविधीकरणः प्रो. रवि प्रकाश  नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र  सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य  ने युवा प्रगतिशील कृषक श्री  राम प्रवेश यादव ग्राम -नवागाई ब्लॉक - सोहाँव ,जनपद- बलिया के प्रक्षेत्र  का भ्रमण किया ,जिनकी  शिक्षा -बी.काम. उम्र -30 वर्ष   है।  

प्रो.साहब ने बताया कि श्री राम प्रवेश ने  कृषि विविधीकरण का अच्छा उदाहरण पेश किया हैं ।  इनके प्रक्षेत्र का भ्रमण कर  किसान से विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा किया।

 प्राइमरी एग्रीकल्चर ( प्राथमिक कृषि) में फसल में धान , सब्जियों में मूली, लौकी, व गोभी  , बगीचा में आम , लीची,नींबू  है। सेकेंडरी एग्रीकल्चर( द्वितीय कृषि) मे  पशुपालन, भूसा से तैयार 150 कुन्टल  कम्पोस्ट  मे बटन मशरुम का उत्पादन  करते है। 60× 40  फीट का तालाब है,  जिसमें सीप  मोती की उत्पादन  करेंगे । तालाब के भीट पर लौकी लगाये है।   रबी में सब्जियों के खेती के लिये रू10 हजार का बीज क्रय कर रखे है । 

हथिया  (हस्थ)  नक्षत्र  9 अक्टूबर तक है ,का इन्तजार कर  सब्जियाँ लगायेगे, क्योंकि हस्थ नक्षत्र मे तड़क भड़क गर्जना के साथ साथ कभी - कभी भारी बर्षा हो जाती है। इस  तरह की खेती  से किसानों को सालभर कुछ न  कुछ आमदनी होती रहती है। 

  उसके बाद ग्राम रामगढ़ ब्लाक गड़वार के मशरुम उत्पादक श्री टुन टुन यादव के मशरुम उत्पादन प्रक्षेत्र का भ्रमण कर चर्चा किया। तथा सुझाव दिया कि कम्पोस्ट तैयार करने के लिये शेड होना आवश्यक है।  किसान ने बताया कि बर्षा होने पर पालीथीन से ढक देता हूँ।  तथा पालीथीन का घर बनाकर  पुवाल ऊपर से रख देता हूँ।

 आमदनी होने पर मशरुम घर एवं शेड बनाउंगा।  तथा बताया कि मशरुम उत्पादन में कुल खर्च  रू 2.00 लाख आता है , आय  रू 4.00 लाख  होती है। इस प्रकार शुध्द लाभ रू 2.00 लाख माह मार्च तक मिल  जाता है। स्थायी  मशरूम घर व  शेड  बन जाने पर लागत कम, आय अधिक  होगी।  प्रो. मौर्य ने बताया कि बलिया  जनपद में बटन मशरुम की खपत  लगभग  500 किग्रा  प्रति दिन  है। 

  जो अधिकतर दूसरे जनपद से आता है।  150 कुन्टल कम्पोस्ट  पर खेती करने वाले मात्र दो किसान,  दर्जनों  10 कुन्टल तक तथा  10 कुन्टल से कम पर खेती करने वाले 25 -50 कृषक  है ,जो ज्यादातर डिगरी मशरुम स्वयं खाने के लिये उत्पादन करते है। इस तरह देखा जाय तो जनपद मे मशरुम उत्पादन की अपार समभावनाए है  ।

केन्द्र द्वारा बर्ष 2019-20 व 2020-21 मे एक -एक प्रशिक्षण मशरूम उत्पादन पर आयोजित किये गये जिसमें  प्रथम बर्ष मे 20 दूसरे बर्ष 46 लोगों ने भाग लिया था , जिसमें अधिकतर खाने के लिए मशरुम उत्पादन कर रहे है। व्यापार की दृष्टि से संख्या कम है।  प्रशिक्षण हेतु  एवं सलाह लेने के लिये  अब भी बहुत लोग केन्द्र पर आ रहे है।  आवश्यकता को देखते हुए माह नवंम्बर मे एक प्रशिक्षण आयोजित किया जायेगा।  जिस समय केन्द्र पर भी बटन  व ढिगरी मशरूम   उपलब्ध रहेगा।

 आज की परिवेश में 

मौसम ,जलवायु ,प्राकृति को देखते हुए  समेकित कृषि प्रणाली व कृषि विविधीकरण अपनाने की आवश्यकता है।

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