सिकन्दरपुर। गुरुवार की शाम मोहर्रम का चांद दिखाई देने के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर के नए साल कि शुरुवात शुक्रवार से हो गई।
21 अगस्त को पहली मुहर्रम हुई। इस तरह मुहर्रम की दसवीं यानी यौमे आशूरा 30 अगस्त को मनाई जाएगी,उक्त जानकारी मोहल्ले की सदारत कर रहे सदर इम्तियाज अहमद नें दी।
इसी क्रम में मोहल्ला मिल्की से निकलने वाला पहली मोहर्रम का 'गोल (रात्रिकालीन जुलुश)शुक्रवार की देर शाम को (09:00) बजे सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए निकाला गया जिसमें मिट्टी लाने की रश्म अदा करने के लिए मोहल्ले के "पांच चौकों" से पांच लोग ही निर्धारित मार्गों से होते हुए सादगी के साथ बड्ढा स्थित कर्बला पर पहुंचे तथा वहां से मिट्टी लेकर एक बार पुनः अपनें निर्धारित मार्गों से होते हुए चौक पर पहुंच कर समाप्ति की गई।
इस दौरान सुरक्षा के दृष्टिकोण से चौकी प्रभारी अमरजीत यादव अपनें हमराहियों के साथ मौजूद रहे।
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इसी महीने में नवास -ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवारिक सदस्य व साथियों समेत कर्बला के मैदान में इस्लाम धर्म की रक्षा करते हुए कुल 72 लोग शहीद हुए थे।
तब से आज तक पूरी दुनिया भर के मुसलमान इस शहादत को हर साल मुहर्रम के 10 दिनों तक इमाम हुसैन की याद में मनाते हैं। यह महीना हमें सब्र और हक पर चलने की शिक्षा देता है।
उक्त क्रम में मुहर्रम की 1 तारीख से लेकर 10 तारीख के बीच (चुने गए दिनों में) भारी संख्या में लोग शामिल होकर जुलूस की शक्ल में निकलते थे, लेकिन इस बार covid-19 के मद्देनजर लॉकडाउन के नियमों के कारण चंद लोगों द्वारा ही रश्म की अदायगी की गई तथा आगे भी इसी के तहेत सारे कार्यक्रम सम्पन्न किए जाएंगे।
नगर के सभी क्षेत्रों में हर वर्ष अधिक चहल-पहल देखी जाती थी, लेकिन इस वर्ष सादगी के साथ मुहर्रम के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता व वक्ताओं ने बताया कि गाइडलाइन के मुताबिक सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए व मास्क का उपयोग करते हुए सारे रस्मों की अदाएगी करेंगे।
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