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अगस्त के पहले सप्ताह मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह, बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्तनपान की अहम भूमिका

By.नुरुलहोदा खान

बलिया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जितेन्द्र पाल ने स्तनपान सप्ताह को मनाने के लिए विभाग को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होने बताया कि इस सप्ताह जनपद में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत सभी गतिविधियाँ की जाएँगी जिसमें एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम् भूमिका होगी। उन्होने बताया कि शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान की संपूर्ण प्रक्रिया को तीन महत्त्वपूर्ण संदेशों में देखा जाता है। पहला जन्म के 1 घंटे के भीतर माँ का पहला दूध पिलाना, दूसरा छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना और तीसरा दो वर्ष तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना एवं दो वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना। एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम कराने के शासन से निर्देश दिए गए हैं जिसमें कहा गया है कि बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए स्तनपान अत्यंत आवश्यक है। इसका शिशु एवं बाल जीवितता पर अहम प्रभाव पड़ता है। स्तनपान का महत्व कोविड संक्रमण के दौरान और अधिक हो जाता है, क्योंकि स्तनपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं यूनिसेफ के माध्यम से जारी किए गए दिशा-निर्देश इस बात पर बल देते हैं कि माँ को और यहां तक कि कोविड से ग्रसित मां को भी शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। अभी तक किसी भी शोध से यह नहीं साबित हुआ है कि वायरस मां के दूध से शिशु में पहुंच सकता है। स्तनपान के दौरान माँ को सावधानी बरतने की बेहद आवश्यकता है जैसे कि दूध पिलाने से पहले स्तनों को और स्वयं के हाथ साबुन से कम से कम 40 सेकंड तक साफ करना तथा चेहरे, नाक एवं मुँह पर मास्क लगाना। यदि मां अपना दूध पिलाने में बिल्कुल समर्थ नहीं है तो उस दशा में परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से माँ के दूध को एक साथ कटोरी में निकालते हुए उसे चम्मच से पिलाया जा सकता है लेकिन इसके माँ को स्तन और हाथों को अच्छी तरह से सेनिटाइज़ करना जरूरी है। आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती है (उन शिशुओ के सापेक्ष जिनको जन्म के घंटे के बाद पर 24 घंटे के पहले स्तनपान की शुरुआत कराई जाती है)। 
छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर सामान्य रोग जैसे दस्त एव निमोनिया के खतरों में क्रमशः 11% एवं 15% की कमी लाई जा सकती है। 2016 की लेंसेट की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए प्राप्त होता है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान प्रारंभ कराया जाए। छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए और शिशु के छह माह पूरे होने पर संपूरक आहार देना प्रारंभ किया जाए।


स्तनपान से माँ और शिशु को होने वाले फायदे*
• शिशु के लिए अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध।
• माँ और शिशु के बीच में भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है।
• दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
• शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाता है।
• प्रसवोपरांत अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है।
• स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय के कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं।
• शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में बेहतर विकास होता है।

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