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कोरोना के वैश्विक अंधियारे में, 'भोर का सूरज' तलाशता भारत-ईश्वरचन्द्र विद्यासागर



सिकन्दरपुर, बलिया। यह सर्वविदित है कि कोरोना महामारी पूरे विश्व में तेजी से अपने पाव पसार रहा है ।हम यह भी जान चुके हैं कि इस बीमारी का इलाज दुनिया के वैज्ञानिक अभी तक ढूढ़ने में कामयाब नहीं हो सके हैं । इसके बढ़ते प्रभाव से दुनिया हैरान हैं हजारो हजार जिंदगियो को मौत की नींद सुला देने वाली यह संक्रामक महामारी न केवल जीवन के लिए खतरा बन चुकी हैं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरा प्रभाव डाल रही है। यह बातें कहीं हैं श्री कृष्ण इण्टर कालेज बाछापार के प्रधानाचार्य ईश्वरचन्द्र विद्यासागर नें।

उन्हों नें कहा है कि इस बीमारी के नकारात्मक प्रभाव को भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा सकता है।हेल्थ इमरजेंसी के कारण लॉक डाउन और लॉक डाउन के कारण उघोग व्यपार, व्यवसाय ,कृषि और रोजगार आदि ठप होने से लाखों करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये है। उनके समक्ष दैनिक उपभोग के जरूरी वस्तुओ की उपलब्धता की कठिन हालात पैदा होती जा रही है। 

तथा बड़े बड़े शहरों व नगरो में जीविकोपार्जन की उम्मीद लिए लोग लॉक डाउन के कारण फंसे हुए हैं।कहा कि रोजगार बंद है कमाई हो नहीं रही अब भोजन परिवार चलाने की वीवशता जैसी समस्याए उत्पन्न होती जा रही हैं।

वर्तमान समय में देश के सकल घरेलू उत्पादन में तेजी से गिरावट आ रही है। एक तरफ कोरोना तेजी से जिंदगियों को अपनी आगोश में ले रहा है तो दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रतिकूल प्रभाव ने लोगों के रोजगार व्यपार और जीविका के साधनों को छीन लिया है। 
भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनः सामान्य स्थिति में कैसे बहाल किया जाय यह हमारी सरकार व अर्थशास्त्रीयो और बुद्धिजीवियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन गई है ।अब देश को कोरोना के वैश्विक अंधियारे में भोर के सूरज की तलाश है। 
साथियो भारत सरकार कोरोना के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित और सचेत है ।समाधान हेतु योजनाबद्ध तरीको से विकल्पों की तलाश की जा रही है।किंतु वैश्वीकरण के इस दौर में कोई भी देश अलग थलग नहीं रह सकता ।
कोरोना का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभाव का कारण निर्यात के क्षेत्र में चीन की बढ़ती भागीदारी है। चीन का वस्तुओं के वैश्विक निर्यात में योगदान लगभग 13 प्रतिशत है ऐसे में दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाए चीन और अमेरिका में ट्रेडवार जैसा माहौल बनने और ऐसे संकट की घड़ी में वैश्विक कोरोना संक्रमण द्वारा इसमे आग में घी जैसे हालात पैदा करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था लड़खड़ा सी गयी है।

वर्तमान समय में उत्पादन और आपूर्ति ठप हो चुकी है कल कारखाने ,दूकान ,व्यपारिक प्रतिष्ठान आदि बन्द होने से लोगों के सामने बेरोजगारी व भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए है कोरोना के कारण शेयर बाजार और तेल के भाव में गिरावट देखी जा रही हैं।
पर्यटन उघोग प्रभावित हुआ है और इन सबके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मानो वेंटिलेटर पर आ सकती है। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल दशमलव 4 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। इससे रोजमर्रा की चीजें महंगी हो सकती है ,ऐसे मुश्किल नाजुक हालत में भारत कुछ योजनाबद्ध चरणबद्ध तरीके से काम करके आर्थिक क्रियाकलापों को गति दे सकता है। 

(1) मौजूदा हालात की रिकवरी कैसे और कब तक हो इसके लिए सभी क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से योजनाओं को क्रियान्वित करना होगा।
(2) आयात में चीन की अत्यधिक भागीदारी को कम करने के लिए अल्प समय में चीन का प्रतिस्थापन खड़ा करना होगा।
(3) कोरोना से उबरने के बाद लोगों में विश्वास पैदा करना देश के समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी लोगों को उघोग व्यपार रोजगार कृषि और पर्यटन के लिए प्रेरित करना होगा जो एक मुश्किल कदम होगा।(4) कोरोना पीड़ितों का इलाज करने इसके प्रभाव को जल्द रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने की अतिआवश्यकता होगी लोगों उपभोगताओं का विश्वास बहाल करने की दरकार करना होगा।
(5)पब्लिक हेल्थ और उघोग व्यपार कृषि रोजगार आदि को साथ साथ योजनाबद्ध व चरणबद्ध तरीको से बहाल करने का प्रयास करना होगा।
(6) घरेलू उघोगों को वित्तीय सुविधाएं मुहैया कराकर इन्हें बढ़ावा देने की जरूरत होगी इससे घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और इस प्रकार वैश्विक आपूर्ति श्रंखला में अपनी भागीदारी बढ़ाकर भारत अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है और ग्लोबल सप्लाई चेन को बहाल कर सकता है।

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