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ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में डॉ. सौरभ पाण्डेय का नाम दर्ज



देश का नाम कर रहे है रोशन

मुंबई ,महाराष्ट्र। 

विश्वस्तरीय धराधाम प्रमुख मनीषी डॉ सौरभ पाण्डेय का नाम ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ है।डॉ सौरभ पाण्डेय का नाम उनके द्वारा किये जा रहे विगत 2 दशक से सामाजिक सद्भावना ,सर्वधर्म समभाव के अनूठे एवं निरन्तर प्रयास के लिए ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है।उन्हें मिले प्रमाण पत्र में *पाईनीयरिंग इन फ़ील्ड्स ऑफ रिलिजन इक्वलिटी एंड रिस्पेक्ट फ़ॉर आल रिलिजन* लिखा गया है।उक्त बुक में नाम मे दर्ज होने से अब डॉ सौरभ पाण्डेय का नाम उनके द्वारा किये जा रहे कार्यो में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदर के साथ लिया जाएगा। उनका नाम दर्ज होने पर उक्त विश्वव्यापी संगठन के सी ई ओ अरफात जलगांवकर   एवम समाजसेवी रिजवान बागवान ने प्रसन्नता ब्यक्त करते हुए कहा कि  चुकी  डॉ सौरभ   द्वारा किया जा रहा कार्य अनुपम एबीएम अदुतीय है।इस तरह की अनूठी सोच की परिकल्पना पर काम करने वाले  डॉ सौरभ  एकलौते  अन्वेषक  बन गए है।
बताते चले डॉ सौरभ पाण्डेय  उत्तर प्रदेश गोरखपुर जनपद के बेलीपार थानांतर्गत भस्मा के रहने वाले है।उनके पिता सोमनाथ पाण्डेय कृषक है।डॉ सौरभ बचपन से ही सामाजिक कार्यो को करने में तल्लीन रहता था।जब सौरभ के कुसमौल इंटर कॉलेज में पड़ते थे तब से ही अपने गांव में दो निरक्षरों को साक्षर बनाने की शर्त पर अक्षर ज्ञान देते थे।बाद में वर्ष 2008 में उनके द्वारा निकाली गई 100 दिवसीय तटबंध यात्रा काफी लोकप्रिय रही ।लगभग 6 लाख लोगों तक सरकारी योजना का प्रसार बिना सरकार या किसी से एक रुपये लिए किए।पूरा जीवन सामाजिक सरोकारों में अब समर्पित है।स्वयम पूर्ण रूपेण शाकाहारी एवम धर्मनिष्ठ सौरभ भस्मा गांव में धराधाम नाम का ऐसा स्थल का निर्माण कराने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिए है जो विश्व का पहला स्थल होगा जहां एक चारदीवारी में सभी धर्मों के धर्म स्थल बनेंगे।साथ ही साथ सर्वधर्म समभाव हेतु निरन्तर मंदिर ,मस्जिद,गुरुद्वारा,गिरिजाघर, जैन मंदिर ,बौद्ध मंदिरों में जाकर अलख जगा रहे है।उनका मानना है कि हम अपने धर्म का अनुपालन करते हुए अन्य सभी धर्मों का भी सम्मान करें जिस प्रकार हम अपने पिता को पिता का सम्मान देते है और अन्य रिस्तेदारो को उनके रिश्ते के अनुसार सम्मान देते है।ऐसे में प्रेम ,सद्भाव,भाईचारा बना रहेगा एवम इससे विश्व शांति की परिकल्पना साकार होगी।

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