छठ घाटों और सरोवर पर दिखा मेले सा नजारा, बच्चों नें जमकर की आतिशबाजी
बलिया। कांच ही बांस के बहंगी, बहंगिया लचकत जाए गीत के साथ सूर्योपासना का महापर्व सूर्यषष्टी डाला छठ नगर सहित ग्रामीण अंचलों में हर्षोल्लास एवं पारंपरिक गीतों के साथ मनाया गया। छठ माता की पूजा अर्चना के लिए नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों पर शनिवार को श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ पड़ा। घाटों पर बजते देवी गीतों के कैसेट से भक्ति का माहौल रहा। श्रद्धालु पूजा सामग्रियों के साथ क्षेत्र की नदी, घाट और सरोवरों पर पहुंचे और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान सभी छठ घाटों पर मेला लगा रहा। कम उम्र के बच्चों एवं युवतियों में गजब का उत्साह रहा। बच्चों ने गंगाघाट, सरोवर, छठघाटों पर जमकर आतिशबाजी भी की। इस दौरान उनके अंदर गजब का उत्साह रहा।
आज सुबह से महिलाएं पुरुष घाटों पर पहुंचने के लिए अपनी तैयारी में जुटे रहे। सायं होते ही नगर क्षेत्र के महावीर घाट, रामलीला मैदान, बापू भवन टाउन हॉल, जेपी नगर, आनंद नगर रामपुर लाटघाट, निधारिया आदि घाटों पर मेले जैसा नजरा रहा।
नगर के सड़कों पर महिला, पुरुष, युवक-युवती, बच्चे गाजे बाजे के साथ बांस की सुपेली, चंगेरी, नारियल, शरीफा, मौसमी, गन्ना, गंजी, सुथनी, कच्ची हल्दी, मूली, हरा साग, भीगा चना आदि के अलावा तरह-तरह के पकवान जैसे मालपुआ, ठेकुआ, पूड़ी, हलुवा आदि एक टोकरी में लेकर घाट पर पहुंची। इस दौरान कई व्रती महिलाओं के पति सिर पर टोकरी में पूजा सामग्री लेकर घाटों की तरफ बढ़ते रहे, जबकि महिलाएं गीत गाते हुए टोलियों में छठ घाटों पर पहुंची। कुछ श्रद्धालु निजी वाहनों से भी घाट तक पहुंचीं। बेल्थरारोड, रसड़ा, नगरा, सिकंदरपुर, मालीपुर, बैरिया, सुरेमनपुर, हल्दी, सहतवार, छाता, रेवती, बासडीहरोड, बॉसडीह संवाददाता के अनुसार क्षेत्र में इस दौरान मेले जैसा दृश्य रहा। सायं होते ही व्रती महिलाए अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया और मनौती मागी। बिचला घाट स्थित छठ घाट पर सूर्य सूर्य भगवान के मूर्ति का अनावरण नगर पालिका अध्यक्ष अजय कुमार ने किया। शाम करीब चार बजे के बाद छठ घाटों की रौनक काफी बढ़ गयी है। व्रती महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की और घाट पर छठ माता की प्रतिमा की पूजा कर शीश नवाया। कुछ मनौती माने श्रद्धालु तो मार्ग पर लेटते हुए घर से घाट तक पहुंचे। घाटों पर समाज सेवी संगठनों द्वारा चाय पानी के स्टाल भी लगाये गये। घाट के किनारे देर शाम तक मेला लगा रहा। नगरा संवादाता के अनुसार नहाय-खाय, खरना के बाद चौबीस घंटे के निर्जला व्रत उपवास के संकल्प के साथ सूर्य षष्ठी व्रती महिलाओं ने रविवार को अपराहन अपने -अपने डाला सुपेली में पूजा के सामान को सजा कर छठ घाटों पर पहुंच सूर्य की उपासना की और सायंकाल अस्त हो रहे भगवान भाष्कर को अर्ध्य दे परिवार के मंगल सुख समृद्धि पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। अपराह्न लगभग तीन बजे से व्रती महिलाएं डाला सुपेली में सजाए गए पूजा के सामान नारियल, फल, हल्दी, अदरक, गाजर, शरीफा, गंजी, सुथनी, नीबू साठी, चावल, अबरक, मूली, बोड़ा, बंडा, ठेकुआ, आटा से बनाए गए सूर्य चंद्र गन्ना आदि के साथ छठ मईया के मंगल गीत ढोल-ताशा बैंड बाजा के साथ नगर के सटे निधारिया स्थिति छठ घाट पर पहुंच अपने अपने वेदियों तो अनेक महिलाएं आसपास बैठ कर भगवान भाष्कर की घंटों उपासना की। घुघली संवाददाता के अनुसार गंडक नदी के बैकुंठी घाट पर व्रती महिलाओं ने अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया दोपहर तीन बजे से ही महिलाएं सर पर पूजा की सामग्री लिए घाट के तरफ निकल पड़ी तथा अपनी जगह सुनिश्चित कर वेदी पर पूजा अर्चना शुरू कर दी। लगभग पांच बजे जब सूर्य अस्ताचल की चले तो व्रती महिलाएं नदी तट पर दीप जलाकर अर्घ्य दिया। घाट पर पुलिस बल तैनात रही वहीं समाजसेवी भी डटे रहे। समाजसेवी अनिल जायसवाल ने घाट पर छठ मैया की प्रतिमा स्थापित करवाया था। रौशनी से चकाचौध व्यवस्था के बीच महिलाओं ने पूजा अर्चना किया।
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