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सुकून कभी पैसों से नहीं खरीदा जा सकता- संतोष कुमार शर्मा की कलम से




झगड़े किस घर में नहीं होते लेकिन रिश्तों को सही तरह से निभाने और समझ ने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है ।
फिर जब सारे रिश्ते एक होकर एक दूसरे की साहयता करें तो हर इंसान सुख का अनुभव करता है । ऐसा अनुभव एक के चहाने से भी हो सकता है,क्योंकि बूँद-बूँद करके ही सागर बनता है । ज़िन्दगी में आप भले ही कितना पैसा क्यों न कमा लें, लेकिन याद रहे सुकून कभी पैसो से नहीं खरीदा जा सकता । हमारे जीवन में संगती का बहुत बड़ा असर पड़ता है, इसलिए हमे अच्छी संगती करनी चाहिये । हर इंसान अपने अच्छे खयालों से ही जीवन में सुकून पा सकता है । गलत संगती करके हमारे ख्याल दूषित होते है, जिसकी वजह से सब होते हुये भी हम सुख का अनुभव नहीं कर पाते । असली सुकून दुःख झेल कर ही मिलता है । क्योंकि सुख की कीमत हम तब तक नहीं समझ सकते जब तक हमने दुख का अनुभव न किया हो । दुःख भी ज़रूरी है जीवन में क्योंकि वो ही हमे मज़बूत बनाते है और उसके रहते ही हम सुकून की सच्चे दिल से कामना करते है और ईश्वर के दिखाये मार्ग को समझ पाते है ।

"ज़िन्दगी में सुकून, अपनों के साथ से मिलता है।
परिश्रम की अग्नि में जलकर ही, उनका साथ मिलता है।
बिना कुछ किए ही, कैसे तुम किसी से उम्मीद लगाते हो?
अपनी तकलीफों के आगे, तुम कैसे किसी और की, तकलीफें भूल जाते हो?"

(पत्रकार सन्तोष शर्मा की कलम से)

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