सिकन्दरपुर, बलिया।हमारे देश में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है प्रकाश पर्व दीपावली जिसको दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली के नाम दिया गया है। दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यानि पंक्ति। इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसज्जित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह महापर्व, अंधेरी रात को असंख्य दीपों की रौशनी से प्रकाशमय कर देता है। हिंदुओं में इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी,विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है। यह बातें कहीं है r.s.s. गुरुकुल एकेडमी कटघरा बंशी बाजार बलिया के प्रबंधक जय प्रताप सिंह गुड्डू ने उन्होंने दीपावली के अवसर पर समस्त क्षेत्रवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, जैन मतावलंबियों के अनुसार आज का दिन चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है। सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा 1619 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था। उन्होंने कहा कि आने वाला दिन समस्त क्षेत्रवासियों के लिए धन वैभव एवं सुख की प्राप्ति लेकर आए ऐसा माता लक्ष्मी से हम कामना करते हैं।
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