सिकन्दरपुर, बलिया। जैसा कि हम जानते है कि गठिया हमारे जोड़ों की एक बीमारी है, जिसमे हमारे हाथ पैर के जोड़ों में दर्द, सूजन, जलन आदि लक्षण आ जाते हैं। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के हिसाब से ऐसा जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल आदि कडों के बहुत ज्यादा मात्रा में इकठ्ठा होने से होता है। इसके इलाज के नाम पर केवल सुजनरोधी(एन्टी इंफ्लेमेटरी), एवं कुछ स्टेरॉयड दवाएँ ही उपलब्ध हैं। जो वास्तव में बीमारी को कम करने के बजाए और बढा देती है। और जोड़ों के इलाज के नाम पे झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा यही दवा अलग अलग तरीकों से खिलाये जाते है। हमे इस बात को बहुत अच्छी तरह समझना होगा - कि इस बीमारी का कोई भी शॉर्टकट तरीका नही है जिससे रातो रात यह बीमारी ठीक हो जाये। हमे कुछ दिन दवाओं के साथ बेडरेस्ट और थोड़ा दर्द बर्दास्त करने की जरूरत होती है। तुरन्त आराम के चक्कर मे अपने जोड़ों को हमेशा के लिए खराब न करें। बीमारी महसूस होने पर तुरंत पेनकिलर दवाओं का इस्तेमाल न करें एवं धैर्य से काम लें। तमाम शोधों से ऐसा ज्ञात हो चुका है एवं होम्योपैथी पहले से ऐसा मानती है कि हमारे शरीर के हर अंग का संबंध हमारी सोचने समझने की क्रिया से प्रभावित होता है। उसी प्रकार से जोड़ हमारे संबंधों को दर्शाते हैं, शरीर को चलायमान बनाते हैं। कही न कही हम अपने संबंधों को इतना खराब कर लेते है या संबंधों की वजह से इतनी पीड़ा में होते हैं कि बिल्कुल चलने लायक न हो, तो हमारे जोड़ो में इस तरह के परिवर्तन आते हैं। अक्सर वो लोग इसके प्रभाव में ज्यादा आते हैं जो जिद्दी एवं स्वाभिमानी प्रवृत्ति के होते हैं। संबंधों एवं विचारों में लचीलापन लाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। होम्योपैथिक दवाओं में वह शक्ति होती है कि वो जोड़ों में आये परिवर्तन को ठीक करके वापस अपने यथास्थिति में ला सकती है, बशर्ते दवा का चयन बहुत बारीकी से एवं सही किया गया हो। उचित लक्षड़ों के आधार पर चुनी हुई दवा सबसे पहले हमारी मानसिक अवस्था को परिवर्तित कर सही कर देती है जिससे रोग का मूल कारण ही समाप्त हो जाता है एवं रोग हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। दर्द एवं सूजन कम करने वाली दवाएं कुछ देर के लिए परेशानी तो कम कर देती हैं लेकिन बीमारी को और बृहद रूप में आने का न्योता दे देते हैं। *ध्यान रखने योग्य बातें:-* • दर्दनिवारक दवा, तेल, बाम, सेकना, एवं अन्य बाजारू उपायों से बचने का प्रयास करें। • सूजन एवं दर्द की स्तिथि में बेड रेस्ट करें, किसी भी स्थिति में व्यायाम एवं थेरेपी देकर हिलाने डुलाने से बचें, क्योंकि सरीर के किसी अंग में सूजन एवं दर्द आने का अर्थ ही होता है उसे हिलने न दिया जाए। • उचित चिकित्सक की सलाह से होम्योपैथिक या आयुर्वेदिक दवाओं का ही प्रयोग करें(उन चिकित्सको से बचें जो होम्योपैथी एवं आयुर्वेद के नाम पे स्टेरॉयड दवाओं का प्रयोग करके अपनी दुकान चलाते हैं)। • प्रोटीन युक्त भोजन जैसे मीट मांस , दालों आदि का प्रयोग कम कर दें। • लोगों की बातों में आकर कोई भी गलत कदम न उठाएं, संभव हो तो अपने व्यवहार एवं विचारों में लचीलापन लाये एवं कारण जानने का प्रयास करें।
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