ये मौसम भी बड़ा मज़ाक कर रहा है
बिन समय के बरसात कर रहा है
किसानों की खुशियों को लुट के
जीवन और बदहाल कर रहा है
ये मौसम भी बड़ा मज़ाक कर रहा है
वसुधा की सुंदरता दिखती थी
जब समय से बरसात पड़ती थी
किसान जो मेहनत कर रहा है
बदलते मौसम से डर रहा है
ये मौसम भी बड़ा मज़ाक कर रहा है
खेतों में जब हरियाली रहत थी
गाँव शहरों में खुशहाली दिखती थी
अब किसान भी मुख मोड़ रहा है
खेतों में ही दम तोड़ रहा है
ये मौसम भी बड़ा मज़ाक कर रहा है
मौसम भी अतिथि जैसा मान चाहता है
धरती पर खोया सम्मान चाहता है
स्वार्थी मनुष्य जानबूझकर भी
प्रकृति संपदा से खिलवाड़ कर रहा है
ये मौसम भी बड़ा मज़ाक कर रहा है
भोला सिंह
8801344790
महावीर धाम सोसाइटी
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