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धरातल पर बेअसर साबित हो रही " नमामि गंगे " योजना


  बैरिया/बलिया :- गंगा को स्वच्छ बनाने की भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का कार्य केंद्र सरकार के चार वर्ष बीत जाने के बावजूद धरातल पर नहीं दिख रहा है। गंगा घाटों पर पहले से अधिक गंदगी दिखाई दे रही है। वहीं गंगा में मरे हुए जानवरों को फेकने के अलावा गंगा तटों पर शव जलाने या शव को गंगा में डूबोने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
जागरूक लोगों का कहना है कि गंगा की सफाई के लिए हर जनपद में एक अधिकारी की नियुक्ति कर उसकी जवाबदेही तय करने के साथ ही समय-समय पर स्वतंत्र एजेंसी द्वारा इसकी जांच कराने पर संभव है। शासन व प्रशासन के साथ-साथ आम जनता भी गंगा को स्वच्छ बनाने के प्रति गंभारती अपनाएं। ऐसे तो अगर अपने-अपने गांवों के सामने गंगा तटों की साफ-सफाई ग्राम प्रधान सप्ताह में एक दिन भी करवा दें तो गंगा तटों की गंदगी कुछ कम हो जाती किंतु न तो ग्राम प्रधानों को गंगा घाटों के साफ-सफाई से मतलब है, न ही सफाई कर्मियों को। डीपीआरओ भी इसके प्रति गंभीर नहीं हैं।
स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान गंगा तटों की ओर अपेक्षित करते हुए आग्रह किया है कि डीपीआरओ व संबधित ग्राम पंचायत अधिकारियों व सफाईकर्मियों को गंगा तटों को साफ-सुथरा रखने के लिए निर्देशित करने का आग्रह किया है।

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