मुरलीछपरा/बलिया :- विकास खंड मुरली छपरा के विभिन्न पंचायतों में लगाए गए आर्सेनिकरोधी फिल्टर वर्षों से खराब पड़े हैं। जिसके कारण लोगों को आर्सेनिकयुक्त पेयजल का सेवन करना पड़ रहा है जबकि इसे ठीक करने के लिए जब भी जल निगम से आग्रह किया जाता है तो उलूल-जुलूल बातें कर उसे बनाने से इंकार कर देते हैं। जिससे क्षेत्रवासियों को दिनोंदिन परेशानी बढ़ती जा रही है।
बता दें कि क्षेत्र में आर्सेनिक की मात्रा अत्यधिक होने के कारण जांच टीम द्वारा रिपोर्ट शान को भेजा गया था। उसके आधार पर चयनिक स्थानों पर आर्सेनिक से मुक्ति दिलाने के लिए शासन द्वारा राघवपुर एनजीओ द्वारा विभिन्न स्थानों पर लगभग डेढ़ दर्जन आर्सेनिक फिल्टर लगाए गए थे, जिसकी एक की कीमत डेढ़ लाख रुपये थी। एनजीओ द्वारा ग्रामीणों को निर्देशित किया गया था कि पानी लेने वाले प्रत्येक लोग से एक-एक रुपये वसूला जाय। ऐसा तो कुछ नहीं हो सका किंतु छह माह बाद ही फिल्टर खराब हो गए। जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत एनजीओ से किया तो वहां के कर्मचारी आकर ग्रामीणों से पैसा इकट्ठा कर फिल्टर बनवाएं। इसके बाद से लगातार फिल्टर खराब होता रहा किंतु इसे आज तक ठीक नहीं किया गया। पहले तो एनजीओ के कर्मचारी फोन नहीं उठाते थे और अब जल निगम के कर्मियों से बात करने की सलाह देते हैं। कहते है कि हम लोगों का अनुबंध खत्म हो चुका है। जल निगम से शिकायत करने पर खराब पड़े फिल्टर को बनाने के बजाय टाल मटोल करते हैं। जिससे क्षेत्रीय लोगों के समक्ष स्वच्छ पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है।
0 Comments