बलिया। ‘‘ दौलत के लिए जब औरत की असमत को ना बेंचा जायेगा, चाहत को ना कुचला जायेगा इज्जत को ना बेंचा जायेगा। अपनी काली करतूतो पर ये जब ये दुनिया शरमायेगी वो सुबह कभी तो आयेगी।’’ इन्ही उम्मीदों के साथ संकल्प ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया।
सहरसपाली स्थित प्राथमिक विद्यालय पर संकल्प साहित्यिक , सामाजिक एंव सांस्कृतिक संस्था द्वारा अन्तार्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गोष्ठी एंव सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापिका रीता सिंह ने कहा कि वक्त के साथ बदलावा हुआ है लेकिन फिर भी अभी यह बदलाव ना के बराबर है। आभी भी औरतों के साथ भेद-भाव हो रहा है। समाज में उनका दर्जा अभी भी दूसरे स्तर का है। भ्रूण हत्या और बलात्कार की घटनायें बताती है कि अभी हम समाज मे कितना सुरक्षित है। जरूरत है जागने की और लोगों को जगाने की। अध्यापिका शालिनी श्रीवास्तव ने कहा कि जब तक औरतों के पास निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं आती वास्तविक आजादी उन्हे नहीं मिली है। संकल्प के सचिव रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कहा कि पुरूष प्रधान समाज में औरतों की वास्तविक आजादी , आर्थिक आजादी है। जब तक आर्थिक -समाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में उन्हे पुरूषों के बराबर निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलती तब तक औरतों की आजादी की बात करना बेमानी है। इस अवसर पर संकल्प के रंगकर्मियों ने बेटी बचाने और समाज के स्त्रियों के संघर्ष की कथा ब्यान करते हुए नुक्कड, नाटक व जनगीतों की प्रस्तुती की। नाट्य प्रस्तुति में सोनी, ट्विंकल गुप्ता, पुष्पा, सुनील शर्मा, चन्दन भारद्वाज, अर्जुन , अमित, राहुल, गोविन्दा, गोविन्द की भूमिका सराहनीय रही। कार्यक्रम में सुषमा विश्वकर्मा, पिनू उपाध्याय, प्रियंबदा तिवारी, अनिल कुमार यादव , प्रीति चौरसिया, शारदा विश्वकर्मा, सुनन्दा विश्वकर्मा, कमलावती , माला देवी , मंजू देवी, वीना देवी, रेखा देवी इत्यादि सैकड़ों ग्रामीण महिलाये एंव स्कूल की बच्चियां उपस्थित रही।
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