सिकन्दरपुर ( बलिया ) 17 मार्च । कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है । खेती - किसानी का काम समुन्नत होने और कृषि उपज बढ़ने पर ही देश आर्थिक रूप से मज़बूत व तेजी से विकास की ओर अग्रसर होगा । यह तथ्य हैकि कृषि के आधुनिक यंत्रों व दीगर संसाधनों के प्रादुर्भाव के पूर्व देश में पिछले कुछ दशक पूर्व तक बाबा आदम से चली आ रही खेती हो रही थी । संसाधनों के ईजाद के बाद खेती के काम में पूर्वापेक्षा काफी बदलाव के साथ ही उत्पादन में भी आशातीत बढोत्तरी हुई है । बावजूद इसके खेती किसानी के क्षेत्र में अभी भी काफी गुंजाइश है । यदि देश के सभी किसान वैज्ञानिक विधि से खेती करने लगें तो उपज में काफी बृद्धि हो सकती है । उसी वैज्ञानिक विधि से खेती करके भरपूर लाभ प्राप्त कर रहे हैं क्षेत्र के लखनापर गांव के प्रगतिशील युवा किसान रितेश कुमार चौरसिया । वह फसल की बुआई के पूर्व निश्चित रूप से खेत के मिट्टी की जांच कराते हैं । उसके बाद उन्नतिशील किस्म के बीज का चयन करते और खेत में डालने के पूर्व उसका शोधन करते हैं । इस दौरान कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर खेत में निश्चित मात्रा में खाद का प्रयोग करते । साथ ही समुचित देख- भाल व समय से सिंचाई के बल पर सभी फसलों का अच्छा उपज प्राप्त करते हैं । इस सीजन में भी उन्हों ने क़रीब डेढ़ बीघा क्षेत्रफल के खेत में गेहूं की अच्छी काश्त किया है । समय से बुआई वखाद के प्रयोग व सिंचाई के चलते खेत में फसल का अच्छा जमाव हुआ है । जिससे उन्हें भरपूर उपज मिलने की उम्मीद है ।
- बतायाकि डेढ़ बीघा गेहूं की बुआई में क़रीब 11 हजार 500 रुपये का खर्च आया है । जबकिपैदावार 15 कुंतल से ज्यादा मिलने आशा है । जो सरकारी रेट से क़रीब 25 हजार रुपये का होगा । किसानों से खेती में वैज्ञानिक विधि अपना कर अधिकाधिक उपज प्राप्त करने की सलाह दिया है ।
रिपोर्ट-पप्पू अन्सारी
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