बैरिया/बलिया :- वर्षो से क्षेत्र में जल संरक्षण का महत्वपूर्ण स्रोत कुआं हमारी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति का हिस्सा रहा है किंतु वर्तमान परिवेश में ये कुएं, हमारी नासमझी के कारण कूड़ेदान बनते जा रहे हैं । इस स्थिति में अब अधिकांश कुएं या तो भर गए हैं, या उनका पानी भी अब पीने योग्य नहीं रहा है । अब कुएं से पानी भरना, कुएं पर जाकर स्नान करना, महिलाओं के द्धारा कुएं पर जाकर मांगलिक गीतों को गाना आदि पुरानी बातें हो गई ।
बता दें कि लगभग तीन दशक पहले तक सभी गांवों में अधिकांश लोगों का पेयजल एवं सिंचाई कुआं पर आधारित था । अमूमन हर गांव में छह-सात कुएं जरूर होते थे । बैरिया तहसील के हर पंचायत में लगभग 10-12 कुओं की संख्या है । आज इन सभी कुओं का अस्तित्व मिटते जा रहा है । कहीं कुएं से पानी गायब है, तो कहीं उसमें कूड़ा डाल कर ही लोगों ने उसे भर दिया है । जानकार बताते हैं कि कुएं का पानी शत-प्रतिशत शुद्ध और आरोग्य प्रदान करने वाला होता है । इसमें आर्सेनिक की मात्रा भी कम होती है, किंतु सरकारी स्तर पर ग्राम पंचायतों में भी कुएं के लिए कोई योजना नहीं हैं ।
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