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80 प्रतिशत अपात्र ब्यक्ति पत्रों की श्रेणीं में


बैरिया/बलिया (ब्यूरो) – राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बनाए गए पात्र गृहस्थी सूची में सुधारने के बजाय अनियमितता वाली सूची को ही प्रमाणित करने के लिए शासन-प्रशासन जीतोड़ मेहनत कर रहा है जबकि सभी को बता है कि इस सूची में 80 प्रतिशत अपात्र व्यक्ति ही पात्रों की श्रेणी में रखे गए हैं। जनता को उलूल-जुलूल कार्यों में फंसाकर सीधे तौर पर अपात्र सूची को ही सही बनाने में लगे हुए हैं। तभी तो सूचियों में आधार कार्ड जोड़ने की प्रक्रिया जोरों पर चल रही है।
बता दें, कि केंद्र सरकारी की बहुआयामी योजना के तहत पात्र गृहस्ती सूची तैयार की गई है। जिसमें 80 प्रतिशत उन लोगों को चयनित करना है, जिसकी वार्षिक आय दो लाख रुपये तक है। सूची जब तैयार की जा रही थी, तब सूची तैयार करने के लिए ब्लाककर्मी घर-घर जाकर सूची के लिए फार्म इकट्ठा कर लिया और उसे ब्लाक मुख्यालय पर जमा किया गया। सर्वे फार्म ब्लाक मुख्यालय पर ही पड़ा था। इससे पहले विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से वही सूची जारी कर दी गई, जो विगत सन् 2000 में चयनित किया गया था। सूची प्रकाशित होते ही लोगों में खलबली मच गई। कोठे व अटारी वाले पात्र बन गए जबकि झोपड़ी वाले अपात्र की श्रेणी में रह गए।
आलम यह था कि मुरली छपरा ब्लाक की जनसंख्या लगभग एक लाख 25 हजार की थी किंतु सूची में तैयार की गई यूनिट दो लाख से अधिक हो गई। इसे ठीक करने के नाम सन् 2016 से अब तक दर्जनों बार फार्म भरवा कर जमा किए गए। बावजूद इसके पात्रों को न्याय नहीं मिला और अपात्रों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है। एक बार फिर लगभग छह माह पूर्व सूची सुधारने के लिए फार्म कराए गए, जिसमें ब्लाककर्मी के अलावा भी कुछ लोगों को शामिल कर सूची तैयार की गई। वह फार्म आज भी ब्लाक मुख्यालय पर ही पड़ा है जबकि दूसरी तरफ गलत सूची में ही आधार कार्ड जोड़ने की प्रक्रिया जोरों पर चल रही है। जब आधार कार्ड इसी सूची में जोड़ा जाएगा तो अपात्र ही पुन: पात्र  की श्रेणी में आ जाएंगे और पात्र न्याय के लिए भटकते रह जाएंगे। क्षेत्रवासियों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि संशोधित सूची में ही आधार कार्ड लिंक कराया जाय।
तत्कालीन सीडीओ ने भी माना था हो रही है गड़बड़ी 
तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी के बालाजी ने भी माना था कि पात्रता सूची में राशन माफियाओं का जोरदार पकड़ हैं। उनसे मुरली छपरा ब्लाक के औचक निरीक्षण के समय ही किसी ने शिकायत किया था कि 200 रुपये प्रति उपभोक्ता से वसूल कर अपात्रों का नाम कंप्यूटर में दर्ज किया जा रहा है। उन्होंने जब कार्यालय में फोन किया तो पता चला कि आफिस का कोई व्याक्ति कंप्यूटर में नाम फीड कर रहा है। जिस पर उन्होंने सख्त निर्देश दिया कि मेरी अनुपस्थित में एक भी नाम दर्ज नहीं किया जाएगा। तब तक उनका यहां से स्थानांतरण हो गया।

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