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ऐतिहासिक गुददड़ शरीफ का आज भी निगरानी करता है सांप




✍️इमरान खान

सिकन्दरपुर, बलिया।
फूलों की नगरी सिकंदरपुर में स्थित दरगाह हज़रत सैयद शाहवली कादरी के प्रांगण में हर वर्ष 11वीं शरीफ के मौके पर दिखाए जाने वाले गूददड़ शरीफ की हिफाजत आज भी एक सांप कर रहा है।

ऐसी मान्यता है कि यह सांप ऐतिहासिक गुददड़ शरीफ की कई दशकों से हिफ़ाज करता है तथा समय समय पर किसी न किसी को दिखाई देता रहता है, मगर नुकशान किसी को नहीं पहुंचाता,गुरुवार की देर रात को गुददड़ शरीफ के कमरे से पूरब की तरफ स्थित दीवार के अंदर उक्त सांप को देखा गया,जिसके बाद कस्बे के दर्जनों लोग इकट्ठा हो गए तथा इसकी जानकारी दरगाह हज़रत सैयद शाहवली कादरी के सज्जादानसी सैयद मिनहाजुद्दीन अजमली को दी, सूचना पर पहुंचे सैयद मिनहाजुद्दीन अजमली ने जाकर नजारे को देखा तथा उक्त सांप से आग्रह किया कि आप अंदर चले जाएं,उनकी बात सुनकर बिना किसी को नुकशान पहुंचाए सांप पीछे मुड़कर दीवार के अंदर चला गया।

नगर वासियों नें बताया है कि यह सांप वर्षों से गुददड़ शरीफ की रखवाली करता है और समय समय पर लोगों को नज़र भी आता रहता है मगर ये अल्लाह का बहुत बड़ा करम है कि यह सांप (सांप के शक्ल में जिन्नात हाजिर होता है) सय्यद घराने के लोगों का आज भी हुक्म मानता है।

इस सम्बंध में सय्यद मिन्हाजुद्दीन अजमली नें बताया है कि यह सांप वर्षों से गुददड़ शरीफ की रखवाली करता है मगर आज तक किसी को कोई नुकशान नहीं पहुंचाया ,और हम लोगों की बातों पर अमल करता है, एक बार जाने का इशारा कर देने पर वह वापस अंदर चला जाता है।

इनसेट-

गुददड़ शरीफ का इतिहास गुददड़ शरीफ सैकड़ों वर्ष पहले बगदाद से लाई हुई बड़ेपीर साहब (हजरत शेख अब्दुल्ला कादिर जिलानी) की निशानी है,जिसकी जियारत मुस्लिम समाज के लोगों को हर वर्ष 11वीं शरीफ के मौके पर कराई जाती है।

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