सिकन्दरपुर,बलिया। कांचहि बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, दर्शन दीन्हीं ना अपन ये छठी मइया जैसे गीत गाकर महिलाओं द्वारा सूर्य की उपासना की गई। छठ पर्व को उत्साह पूर्वक मनाने के लिए ब्रती महिलाए रविवार की शाम को सिकन्दरपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के 101 व शहर क्षेत्र के 4 घाटों पर पर एकत्रित हुई। यहां पर डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई, जबकि छठ पर्व के आखिरी दिन सोमवार की सुबह उगते सूरज की आराधना की जाएगी। पिछले चार दिनों से घरों में छठ पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व को लेकर महिलाएं व्रत रख रही हैं। रविवार की शाम महिलाओं द्वारा गन्ने के मंडप सजाकर उसमें अनेकों प्रकार के फलों और पकवानों को रखकर पूजा-अर्चना की। सूर्य देव के डूबने से पहले महिलाओं ने जल से भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया। ब्रती महिलाओं ने एक दूसरे को सूर्य की उपासना की कहानी सुनाई। इस दौरान महिलाओं ने तालाब,पोखरा, नदी में दीपदान भी किया।
इससे दीपों की राेशनी से तालाब का पानी जगमगा उठा। इस दौरान विवाहित जोड़ियां सेल्फी लेते हुए नजर आईं, युवाओं एवं बच्चों में भी सेल्फी लेने की होड़ लगी रही।
बच्चों ने की अतिशबाजी
सिकंदरपुर क्षेत्र के 105 विभिन्न तालाब, नदी, पोखरे के घाटों पर छठ पूजा के दौरान बच्चों ने जमकर अतिशबाजी की। इस अतिशबाजी से तालाब के घाट रंगीन हो उठे और काफी देर तक धमाकों की आवाज से गूंजते रहे।
महिलाएं बोलीं-मन्नतों का पर्व है छठ पूजा
विभिन्न घाटों पर पूजा करने के लिए आई महिलाओ ने बताया कि छठ पर्व सूर्य की उपासना का पर्व है। सूर्य की आराधना को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। छठ पर्व को भोजपुरी समाज द्वारा उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। इस पर्व का समाज के लोगों में बेसब्री से इंतजार रहता है। यह पर्व मन्नतों का पर्व भी माना जाता है। कई लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर सूर्य देव को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं।
क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर हो रहे छठ महापर्व के अवसर पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रही। वही अपने अपने घाटों पर समाजसेवी लोगो द्वारा भी सुरक्षा की जिमेदारी निभाते दिखे गए। वही समाजसेवी लोगो द्वारा अपने अपने घाटों पर ब्रती महिलाओ को अर्घ्य देने के लिए दूध की भी व्यवस्था की गई थी।
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