हमने सोचा था कि कुछ देर ठहर जाएगा
क्या ख़बर थी वो निगाहों से उतर जाएगा
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आज़माना नहीं है ठीक इसे इस तरह
सब्र का जाम किसी रोज़ भी भर जाएगा
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हमसफ़र तेरे तुझे छोड़ गए हैं तन्हा
शहरे अंजान में राही तू किधर जाएगा
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डोर नाज़ुक सी बची है हमारे बीच में अब
ये तआल्लुक ज़रा सी चोट से मर जाएगा
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तू न होगा तो मेरी ज़िंदगी रुक जाएगी
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
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सारी दुनिया है उधर और इधर इक मैं हूं
देखना है कि तू इस बार किधर जाएगा
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❗❗❗भारती ❗❗❗
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