Ticker

6/recent/ticker-posts

तहसील सिकन्दरपुर बना भ्र्ष्टाचार का केंद्र


बलिया डेस्क।  
एक तरफ प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन तहसील सिकंदरपुर में भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है यहां तो हालात इस कदर खराब है कि प्राइवेट कर्मचारियों के द्वारा आम जनता से बड़े पैमाने पर धन उगाही अधिकारियों के नाक के नीचे की जा रही है।

 जहां सरकारी खतौनी निकालने का  शुल्क ₹15 रुपए है वही आम जनता से ₹20 रुपए की वसूली की जाती है विभिन्न न्यायालयों द्वारा अगर किसी मुकदमे में आदेश पारित किया जाता है तो मालिकान कराने के नाम पर व कंप्यूटर में चढ़ाने के नाम पर बिना शुल्क लिए कोई काम नहीं होता है अगर पैसा  ना मिले तो उसकी फाइल  वैसे ही दबा दी जाती हैं। अगर पैमाइश कराना हो तो कानूनगो व लेखपाल द्वारा 25 हजार से लेकर ₹50 हजार की मांग की जा रही है अगर नहीं मिलता है तो किसी ना किसी तरह बहाना बनाकर पैमाइश करने से मना कर दिया जाता है।

इस संबंध में उपजिलाधिकारी रवि कुमार पासवान ने बताया कि कंप्यूटरीकृत खतौनी का शुल्क ₹15 रुपए है अगर ₹20 रुपए लिया जा रहा है तो इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।

Post a Comment

0 Comments