क्षेत्र में खुलेआम हो रही अवैध शराब बनाने का धंधा अब कुटीर उद्योग के रूप में फल फूल रहा है बिहार में शराबबंदी के वजह से यह अच्छी कमाई का जरिया बन गया है इलाकाई पुलिस की मदद से शराब माफिया हजारों लीटर अवैध कच्ची शराब इस पार से उस पार आसानी से बेरोकटोक ले जा रहे हैं। कच्ची शराब की बिक्री से जहां गांवों व कस्बा का माहौल खराब हो रहा है, वहीं युवा पीढ़ी भी नशे की आदी होती जा रही है। कच्ची शराब पीने से अब तक एक दशक में कई दर्जन लोग मौत को गले लगा चुके हैं बावजूद इस पर रोक लगने के बजाय यह धंधा और तेजी से फल फूल रहा है।
ऐसा भी नहीं है कि अवैध शराब के कारोबार की जानकारी जिले के आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस प्रशासन को न हो, लेकिन जानकारी के बाबजूद भी अवैध शराब की बिक्री पर लगाम न लगने से विभाग की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में खड़ी होती दिखाई दे रही है। अवैध रूप से कस्बो व गांव में संचालित हो रही अवैध शराब की दुकानों ने गांवों का माहौल दूषित कर दिया है। क्षेत्र में शराब के कारण दिनों-दिन अपराधों में वृद्घि हो रही है। साथ ही आसानी से शराब उपलब्ध हो जाने से ग्रामीण व युवा वर्ग शराब की लत में जकड़ता जा रहा है।
जगह-जगह महुआ शराब बिक रही है। गांव में आसानी से कच्ची महुआ शराब मिलने से नाबालिक नशे की आदि हो रहे हैं। यहां शराब के नशे में आये दिन गली मोहल्ले में लड़ाई झगड़ा आम बात होने लगा है। शाम होते ही गांव के अंदर कच्ची महुआ शराब जोरो से बिक रही है। स्थानीय पुलिस की उदासीनता के चलते बेखौप अवैध कच्ची शराब बिक्री की जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर किसी ने अवैध शराब विक्रेता के विरुद्ध पुलिस से शिकायत किया तो पुलिस कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता का नाम भी शराब विक्रेता को बता देती है जिसके कारण अब लोग पुलिस से शिकायत करने में भी हिचकते हैं।
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इस संबंध में क्षेत्राधिकारी सिकन्दरपुर भुषण वर्मा ने बताया कि अगर इस तरह का मामला है तो इसका तस्दीक कराया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी।
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