सांसद ने कहा कि इस ताल को विकसित करने के लिए उन्होंने संसद में भी बात उठाई थी । उन्होंने कहा कि सुरहा ताल को विकसित करने के लिए वे केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे । सांसद जी ने कहा कि हमें अपनी परंपराओं को मरने नहीं देना चाहिए सुरहा ताल एक परंपरा है और हमें इसे बचाए रखना है ।उन्होंने कहा कि जल, जमीन और जलाशय को बचाए रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है क्योंकि यह हमारे पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। सुरहा ताल केवल एक ताल नहीं है। यह ताल कई ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है।
सांसद ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने भी सुरहा ताल का जिक्र उनसे किया था। सांसद ने कहा कि सुरहा ताल केवल घूमने की जगह तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इसको रोजगार से जोड़ना है। उन्होंने ददरी मेले का जिक्र करते हुए कहा कि कभी ददरी मेला मेला ना होकर एक यज्ञ स्थान था जहां पर महर्षि ददरी यज्ञ किया करते थे। धीरे-धीरे यह यज्ञ स्थान अर्थव्यवस्था का केंद्र बन गया और मेले के रूप में विकसित हुआ । आज यह मेला लोगों की आर्थिक आय का साधन बना हुआ है। इसी प्रकार सुरहा ताल भी कभी मात्र जल स्थल के रूप में जाना जाता था लेकिन आज यह आर्थिक आय का साधन बनेगा और मछुआरा समुदाय के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा ।
उन्होंने कहा कि पक्षी महोत्सव पर्यावरण की शुद्धता के लिए अति आवश्यक है ।आज के दिन में जो मौसम परिवर्तन हो रहे हैं वह पर्यावरण के दूषित होने की प्रमुख वजह है पक्षियों के संरक्षण से न केवल हम परोपकार करेंगे बल्कि पर्यावरण को भी बचाएंगे क्योंकि पक्षी और पर्यावरण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
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