वही प्राथमिक स्वास्थ केंद्र गढ़मलपुर का जायजा लिया गया तो पाया कि अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से सबसे दयनीय स्थिति नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गढ़मलपुर का है। इस स्वास्थ केंद्र का निर्माण हुए करीब डेढ़ दशक से ऊपर हो गया लेकिन आज तक इस स्वास्थ केंद्र पर उपलब्ध होने वाली सुविधाओं का टोटा पड़ा हुआ है।पूर्व तथा वर्तमान की सरकारों द्वारा गाँव गाँव मे बिजली की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई या कराई जा रही हैं लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण है कि अभी आज तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गढ़मलपुर पर बिजली की सुविधा उपलब्ध नही हो पाई है।वैसे तो रात में शायद ही कोई रोगी इस स्वास्थ केंद्र की ओर रुख करता हो ? परन्तु यहाँ रुकने वाले इक्का दुक्का कर्मचारी भी ढ़िबरी जला कर रात गुजारते हैं।रात में जंगली एवं जहरीले जीव जंतुओं के चलते कोई कर्मचारी अपने निवास से बाहर नही निकलता है।
इस स्वास्थ्य केंद्र पर न तो पेयजल की कोई सुविधा है नही लाइट पंखा ही चल पाता है।
अस्पताल के अंदर छतों से रिसता हुआ पानी , गन्दे बेड, टूटी फूटी दिवाले, टूटे बेड,गंदगी से पटा पड़ा शौचालय, टूटी कुर्सियां ,अस्पताल भवन के पास उगी घनी जंगली झाड़ियां इस अस्पताल की दुर्दशा की कहानी खुद ब खुद बयां कर रही थी।
कहने को तो यहाँ एक चिकित्सक अंकित कुमार सिंह की नई तैनाती हुई थी लेकिन अब उनकी भी तैनाती कहाँ है कोई बताने वाला नही है। ग्रामीण बताते हैं कि कोरोना के बाद से ही यह अस्पताल चिकित्सक विहीन चल रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि चिकित्सक की यहाँ भले तैनाती नही है पर यहाँ तैनात स्वीपर हाइड्रोशील सहित कई ऑपरेशन बे रोक टोक धडल्ले से करता है।
कहने को इस अस्पताल पर एक फार्मासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन, एक एएनएम, एक वार्ड ब्याय तथा एक स्वीपर की तैनाती है लेकिन अक्सर फार्मासिस्ट ,वार्डब्यायऔर स्वीपर की ही उपस्थिति रहती है।बाकीअन्य लोग नदारद रहते हैं।
वही तैनात फार्मासिस्ट अनुराग गंभीर भी दवाओं के अभाव में डियूटी की खाना पूर्ति ही करते हैं । चिकित्सक के आभाव में शायद ही कोई मरीज इस अस्पताल पर इलाज कराने पहुंचता है।इस अस्पताल पर दवाओं के नाम पर टोटा है। गंभीर रोगों को तो छोड़िए यहाँ सर्दी जुकाम की दवा भी बमुश्किल मिल पाती है। पूरे अस्पताल में गंदगी और झार झाखड़ का अंबार लगा हुआ है।
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