बैरिया बलिया।(रिपोर्ट शकील खान).
मेले में दिखा आपसी सौहार्द का नजारा
सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेला में सामाजिक सौहार्द, समभाव का नजारा दिखा। यहां न कोई छोटा था और न कोई बड़ा। आसपास जिलों के कोने-कोने से लोग आए थे। हर जाति, वर्ग के लोग। यहां सभी यात्री-श्रद्धालु थे। समाधि स्थल पर सभी ने एक साथ रात बिताई। एक सिरहाने सभी सोए। खास कर महिलाएं आपस में जल्दी घुलती मिलती है। वे सभी एक-दूसरे के विषय में जान रही थी। एक साथ नहाना, खाना फिर खरीदारी करना। जाने के समय में वे आपस में गले भी मिल रही थी।मेला परिसर में अनेकता में एकता का दृश्य यहां देखने को मिल रहा था।
जलेबी संग सब्जी है धनुष यज्ञ मेले की खूबसूरती
सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेला घूमने आए लोग यहाँ की प्रसिद्ध कुरकुरे जलेबी के साथ सब्जी के दीवाने हैं।जलेबी के संग सब्जी का ख्याल आते ही लोगों मन में धनुष यज्ञ मेला की खूबसूरती सामने आ जाती है।धनुष यज्ञ मेला का यह जायका ऐसा हैं जो आपको धनुष मेला के अलावा कहीं नहीं मिलेंगे।यदि मिलेंगे भी तो यहां जैसा स्वाद नहीं मिलेगा। मेला पहुंचते ही जलेबी के साथ सब्जी की खुशबू अनायाश ही अपनी ओर खीचने लगती है। एक अनुमान के तहत पंचमी के दिन 150 कुन्तल जलेबी की बिक्री हुई जो पिछले साल कि तुलना में काफी अधिक है।पिछले साल पंचमी के दिन 100 कुन्तल जलेबी की खपत हुई थी ।।संत सुदिष्ट बाबा के समाधि स्थल पर लगने वाले धनुष यज्ञ मेले में प्रति वर्ष राजनीतिक पार्टियां अपना अलग अलग मंच लगाती है और अपनी पार्टियों के द्वारा कराए गए विकास कार्यों को मेला में आए हुए लोगो के समक्ष रखती है। लेकिन इस साल किसी भी राजनीतिक दल ने अपना मंच नही लगाया। इन सब के बीच जमालपुर निवासी अवकाश प्राप्त डी एस पी परशुराम सिंह ने मेला में अपना एक अलग गैरराजनीतिक मंच लगाया और ऐलान किया कि मैं निष्काम भाव से बलिया की जनता की सेवा करने अपनी जन्मभूमि पर आया हूँ।उन्होंने ने बलिया को क्रांतिकारी व परिवर्तन की धरती बतायी।कहा कि आज तकनीकी शिक्षा व्यसायिक शिक्षा की जरूरत है अवसर आप दे हम काम कर के दिखएँगे ।
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