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हम तो समाज के सेवक हैं-सुमन भारती


हम तो समाज के सेवक हैं हमको दहेज़ बिल्कुल ना चाही,

बस एक रूपया देई दिह बाकी सब तुम्हरे रही....…

हीरा जइसा लडिका सौंप दींह अब एहिका आगे का कहीं....

हम तो समाज के सेवक......


घड़ी अंगुठी नेग चार, सब अंगना में दिअइबै करी,

समधीन अपने बक्से से दो चार गिन्नी तो डरबे करिहें,

लडिका अगर मडवे तले अरझी जइहे तो फोर विलर तो दियइबे करिहे,, 

हम तो समाज....।।।।


लडीकवा टीवी के आदी है, अउर दिन भर के ललाइल है,

फिर चिंता न करो , टीबी के साथे होम थिएटर मीली जाई,,

हम तो समाज के सेवक हैं......


टेंट बेंट गोला बोला, लाइट फाइट, गाजे-बाजे,


करि दिन्हो इकरो भुगतान काहे कि बजिहे इस सब तोहरे दुवारे,,

पंखा टीबी फ्रीज अलमारी, सोफ़ा सेंट तो मिलबे करी,

हम तो समाज के सेवक हैं....


पकवान शुद्ध देसी घी के बनवाई दिह ताज़े ताज़े,,

घर दुआर भले बिकी जाए,पर नकट्टी न होने पाएं कामे काजे,

हम तो समाज के.......


मुलो एकही बात की चिंता है,इ सब समान कहां जाइ,

सोचते हैं कि तुम्हारे नये वाले पक्के मकान में कुछ दिन तक रहा जाइ,,

जब बिटिया के इतना कुछ देख दिहे, तो एक आइटम और सही,, 

हम तो समाज के सेवक हैं हमको दहेज़ बिल्कुल ना चाही,बस दो रुपया देइ दिहे‌ बाकी सब तुम्हरे रही.....

 हीरा जइसा लडिका सौंप दिए अब एकरे आगे का कहीं......

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