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वो तो खरा समंदर था:-सुमन भारती


 समझते थे हम जिसे कीमती, वो खेत तो बंजर था,,

 जिसे समझें थे मीठा झरना,ऐ मेरे दोस्त! वो तो खरा समंदर था .


मेरे खातिर गुलाबों का, जो वो गुलिस्तां लाएं थे,,

पता चला मुझको बाद में, कि उसमें छुपाया खंजर था..


जो कुछ कहते तो रुसवाई, जो चुप रहते तो मरना था,,

 मुनासिब मैंने मरना समझा, क्योंकि सामने ऐसा मंजर था ..


हकीकत क्या फसाना क्या, नहीं मालुम भारती तुझे

हकीकत और फंसाने से परे,वो एक ऐसा बवंडर था....


समझे थे हम जिसे कीमती, वो खेत तो बंजर था,,

जिसे समझें थे मीठा झरना, ऐ  मेरे दोस्त वो तो खरा समंदर था...


🌸🌸🌸🌸🌹सुमन भारती 🌸🌸🌸🌸

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