बलिया।(मोहम्मद सरफराज).हज़रत ईमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों की याद में यौमे आशूरा के अवसर शिया समुदाय द्वारा अंजुमन हाशिमिया बिशुनीपुर से मंगलवार की शाम करीब 4बजे स्व.मुनीर हसन के कदीमी(प्राचीन) इमाम बारगाह से ताजिये और दिगर तबर्रुकात बरामद हुआ जो शिया जामा मस्जिद पहुंचकर ठंडा किया गया। इस दौरान अंजुमन हाशिमिया के सदस्यों ने जंजीरी मातम किया। अंजुमन के नौहाखां शहंशाह जैदी,अली जैदी ने नौहा खानी के दौरान पढ़ा कि ऐ अजादारो गमे शब्बीर को रूखसत करो.ख़ाबे इब्राहिम की ताबीर को रूखसत करो।
या कहा हो अकेली है जैनब ,मुझे कर्मों जिल्लत जूलूस अपने निर्धारित रास्तों से होते हुए बिशुनीपुर जामा मस्जिद पहुंचकर ठंडा किया गया। यौमे आशूरा (10वीं) मोहर्रम के दिन सुबह से ही शिया समुदाय के घर घर से मजलिसों का सिलसिला चलता रहा। यौमे आशूरा के अवसर पर मौलाना आमिर रज़ा जवादी ने कहा कि दुनिया में सबसे पहला घातक आतंकवादी हमला कर्बला में किया। जहां भूखे प्यासे72 सिपाहे हुसैनी का मुकाबला लाखों के हथियार बन्द यजीदी फौज से था, वह भी हैवानियत के खिलाफ दुनिया को इंसानियत का पैगाम देने से रोकने के लिए यजीद ने इमाम हुसैन से बैयत तलब किया। उन्होंने यजीदी फौज से यह भी कहा कि हमारी फौज तुम्हारी कभी बैयत नहीं करेगी। तुम्हारे दुश्मनी तो हम से हमारे साथियों को भूखा प्यासा रखकर शहीद करना ही तुम्हारा लक्ष्य है। तो हमें हमारे प्यारे वतन हिन्दुस्तान जाने दो ,यजीद ने साफ कहदिया हम कहीं नहीं जाने देंगे ।बैयत करो या जंग करो। अगर उसी वक्त इस हमले के खिलाफ मुस्लमान खड़े हो जाते, तो आज दुनिया से आतंकवाद का नामो निशान मिट जाता। कर्बला में मारे गये इमाम हुसैन अ.स.और उनके घर वालों सहित 72लोगो भूखा प्यासा शहीद करने के बाद पैगम्बर मोहम्मद स.अ. और उनकी आल (उनके परिजनों) को कुफे़ से शाम के यजीदी दरबार तक ताजियाने(कोड़ों) मारते हुए बेपर्दा नहीं फिराया जाता। उनके भाई मौला अब्बास,जनाब अली अकबर, शिरखार अली असगर की जैसे जानिसारो की कुर्बानी को सुनते ही मोमेनिनो की आंखें छलक उठीं। मौलाना आमिर रजा ने कहा कि कर्बला में यजीदी फौज के सिपाहियों की तरफ से तीन मोहर्रम से हुसैनी खौमो के लिए पानी बन्द कर दिया था।जिसके कारण हुसैनी खैमो में छोटे छोटे बच्चे प्यास से तड़पने लगे। इन बच्चों की प्यास बुझाने के लिए इमाम हुसैन अपने भाई जनाब अब्बास को पानी लाने के लिए दरिया फुरात पर भेजा जहां यजीदी फौज ने उनके दोनों हाथ काटने के बाद उन्हें शहीद कर दिया गया। कर्बला में शहीद हो चुके हुसैनी फौज के शहीदों की लाशो पर घोड़े दौड़ा कर लशों को टुकड़े टुकड़े कर दिया।
जुलूस में अंजुमन हाशिमिया बिशुनीपुर के नौहा खां शहंशाह हुसैन, अली जैदी शानू ने अपने मखसूस अंदाज में नौहाखानी करते हुए करते हुए रजा,आसिफ हुसैन, मोहसिन रजा,डा.सलीस हैदर, मोजबत हुसैन खां, महफूज आलम, रियाजुल हुसैन,हसरत, दिलदार, जैनुल आबेदीन ज़ैदी, हुसैन,शकीलखां,मिसम, लक्की,जहीन,जरी,आदि सीनाजनी किया ।
Byte मौलाना आमिर रज़ा.
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