अभी हमसे रुठी है हर दुआ,अभी गर्दिशों में है मेरी वफ़ा!!
किस वक़्त में किस मोड़ पर मिलेंगे हम जानें, कहां, किधर,
ना तुझे ख़बर ना मुझे खबर,ना तुझे ख़बर ना मुझे खबर......
क्या अजीब राह पर हैं मेरी जिंदगी,ना तु अजनबी ना मैं अजनबी,
इसी शहर में है तेरा भी घर,इसी शहर में हूं मैं दर-बदर,,
ना तुझे ख़बर ना मुझे खबर, ना तुझे ख़बर ना मुझे खबर.....
मेरा ख्वाब पूरा ना हो सका,कि सुकू से तू भी ना सो सका,
मेरे ख्वाब को मेरी नींद को,लगी किसकी जाने कहां नज़र,
ना तुझे ख़बर ना मुझे खबर,ना तुझे ख़बर ना मुझे खबर......
🌼🌼🌼 ✍️सुमन भारती 🌼🌼🌼
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