बलिया उत्तर प्रदेश।
जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस द्वारा पांच दिवसीय सेवारत प्राचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के द्वितीय दिवस के प्रथम एवं द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर पर गुरु घासी दास विश्वविद्यालय, बिलासपुर से प्रोफेसर प्रतिभा जैन मिश्रा, समाज कार्य विभाग सम्मिलित हुयीं. प्रोफेसर मिश्रा ने Socially-Economically Disadvantaged Group (SEDGs) and NEP 2020 पर अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया.
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के समक्ष आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसमे शिक्षा को लेकर एक्सेस, इक्विटी, अकाउंटेबिलिटी, अफोर्डेबिलिटी को लेकर ध्यान दिया गया है. उन्होंने बताया कि सतत विकास के लक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वंचित वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने का हर सम्भव प्रयत्न किया गया है.
उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में PARAKH अर्थात P- Performance, A- Access, R- Review, A- Analysis of the, K- Knowledge of the H- Holistic Development स्वरुप को परीक्षा में मूल्यांकन एवं विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु अपनाया गया है. उन्होंने NTA के स्वरुप व कार्यों, NRF के महत्व, एच. ई. आई (HEI) के साथ ही नैशनल अकैडमी ऑफ डिजिटल (NAD), स्वयं प्रभा, ODL व MOOCS आदि के विषय में भी जानकारी साझा की. द्वितीय सत्र में प्रोफेसर प्रतिभा जैन मिश्रा ने NEP 2020 : Governance and Implementation पर अपना वक्तव्य दिया. इस दौरान सत्र समाप्ति पर गौरी मैया महाविद्यालय से प्राचार्य डॉ. गुरु नारायण सिंह एवं अनूप सिंह कॉलेज से प्राचार्या डॉ. अन्नपूर्णा राय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शैक्षणिक नीतियां अक्सर बनायी जाती हैं किन्तु उनकी सार्थकता तभी है जब वो व्यवहारिक रूप से लागू हो सके क्योंकि ऐसे में उनकी सार्थकता एवं महत्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है.
कार्यशाला के तृतीय सत्र में मध्य प्रदेश भोज ओपेन यूनिवर्सिटी, भोपाल से प्रोफ़ेसर भुभन चंद्र महापात्रा जी सम्मिलित हुए. उन्होंने बताया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कई पहलुओं पर बारीकी से चर्चा की गई है. इसी के साथ ही सी. बी. सी. एस. व्यवस्था (Choice Based Credit System) पर सभी प्रतिभागी प्राचार्यों को विस्तार से पॉवर पॉइन्ट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी दी. उन्होंने सी. बी. सी. एस. के छह क्षेत्रो यथा अन्वेषण, प्रारूप, विकास, क्रियान्वयन, मूल्यांकन, पुनरावलोकन आदि घटक तत्वों, के साथ विविध पाठ्यक्रमों के क्रेडिट आधारित प्रारूप निर्धारण करते समय ध्यान रखे जाने वाले कुल 20 सिद्धांतो जैसे कन्जर्वेटिव सिद्धांत, फॉरवर्ड लुकिंग सिद्धांत, सृजनात्मकता का सिद्धांत, पूर्ण स्वरुप का सिद्धांत, गतिविधि का सिद्धांत, जीवन से संबद्धता का सिद्धांत, छात्र केंद्रित सिद्धांत, एकीकरण व समन्वयन का सिद्धांत आदि पर सभी प्रतिभागियों के साथ विस्तार से जानकारी साझा की तथा प्रतिभागियों के प्रश्नों का समुचित उत्तर भी दिया.
कार्यशाला की समाप्ति धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुयी. कार्यशाला में विश्वविद्यालय परिसर से निर्देशक शैक्षणिक, डॉ. पुष्पा मिश्रा, समाज कार्य विभाग, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. प्रियंका सिंह, समाजशास्त्र विभाग, असिस्टैंट प्रोफेसर डॉ. अपराजिता उपाध्याय, असिस्टैंट प्रोफेसर नीति कुशवाहा, असिस्टैंट प्रोफेसर डॉ. राघवेन्द्र पाण्डेय, असिस्टैंट प्रोफेसर डॉ. रंजीत कुमार पांडेय तथा संबद्ध महाविद्यालयों से प्राचार्य डॉ. विजय कुमार पांडेय, डॉ. अवधेश कुमार चौबे, डॉ. सतीश कुमार दुबे, डॉ. अन्नपूर्णा राय, डॉ. परमेश्वर पाण्डेय डॉ. त्रिविजय नाथ सिंह, डॉ. केशव सिंह, डॉ. जितेंद्र प्रसाद सिंह, अरुणेन्दर् कुमार, डॉ. उत्तम चंद्र गुप्ता, डॉ. गुरु नारायण सिंह आदि उपस्थित रहे. कार्यशाला का आयोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के समन्वयक डॉ. रमा कांत सिंह ने किया.
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