नवादा बिहार।
मोहम्मद सुलतान अख्तर।
इस्लामी समाज के निर्माण में मस्जिद की भूमिका मौलिक होती है। मस्जिद के बिना इस्लाम की शिक्षा प्रणाली असंभव है। मस्जिद बनाने वाले अल्लाह के चुने हुए बंदे होते हैं। वास्तविक निजात के लिए मस्जिदों के निर्माण में अधिक से अधिक भाग लेना चाहिए। मस्जिद बनाना एक आस्तिक की निशानी है और इसे बनाना एक पूर्ण आस्तिक की जिम्मेदारी है। यह बात नवादा जिले अमावा अजमेरी मस्जिद मे शिलान्यास के अवसर पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए, इमारत शरिया के कार्यकारी नाजिम मौलाना मोहम्मद शिबली कासिमी ने कही।
अल-फलाह एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर कमेटी और अंजुमन-ए-तामीर की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू हुआ और दोपहर 2 बजे तक सभा अध्यक्ष की दुआ पर समाप्त हुआ। मस्जिद महत्व के बारे में मौलाना ने आगे कहा कि मस्जिद का निर्माण एक महान दान है। इसके निर्माता और समर्थक को मैदान मैहसर के दिन पुरस्कृत होंगे। उन्होंने लोगों से मस्जिद से जुड़े रहने का आग्रह किया और कहा कि मस्जिदें के अध्यक्ष को एकजुट रखें। मस्जिद परिवार का साथ दें, यह एक महत्वपूर्ण साधन हैं। पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के समय में और सहाबा रिजवानउल्लाह के समय में कोई काम का निर्णय मस्जिद मे लिया जाता था। मस्जिद से शिक्षण भी किया जाता था। निर्माण और विकास में भाग लेकर आपसी सद्भाव को बढ़ावा देना चाहिए की शिक्षाओं का पालन करके मस्जिद का भरपुर लाभ उठाएं। मस्जिद हर समय खुली रहनी चाहिए ताकि सभी इंसान मस्जिदों में आ सकें और मानवता और नैतिकता का पाठ सीख सकें। इसलिए हमारी मस्जिद अजमेरी हर समय खुली रहेगी। इसलिए कि मस्जिद खुली रहने से आपसी भाईचारे को सामान्य कर सकें और भेदभाव को समाप्त कर सकें।
नायब काजी शरीयत मौलाना मुफ्ती वसी अहमद कासमी साहिब ने कहा कि मस्जिदें अल्लाह का घर हैं और उनका सम्मान सभी मुसलमानों और आम लोगों के लिए जरूरी है क्योंकि मस्जिदें सिर्फ भगवान को खुश करने के लिए ही बनाई जाती है। यहां आकर अमीर और गरीब, काले और सफेद, सभी अल्लाह की उपस्थिति में एक पंक्ति मे एक साथ खड़े हो जाते हैं, इसलिए मस्जिदें हमारी एकता का सबसे बड़ा प्रतीक हैं, जो लोगों को पांच दैनिक प्रार्थनाओं के साथ लाती हैं। वे संचार का एक महत्वपूर्ण साधन भी हैं। मदरसा अजमतिया नवादा के नाजिम ओ सभा के अध्यक्ष कारी शोएब अहमद ने कहा कि मुसलमानों को इस्लामी कानून के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। नमाज़ के लिए मस्जिदें बनाई जा रही हैं। मकातिब कायम करें शिक्षा को आम करें। सभा मे उपस्थित मौलाना मोहम्मद नसीरुद्दीन मुजाहीरी, जामा मस्जिद अंसार नगर के प्रवक्ता मौलाना मकसूद अहमद नोमानी, नवादा काजी जिया-उद-दीन मुजाहेरी, सामाजिक कार्यकर्ता सैयद मसीहुद्दीन और साबूद सिंह प्रो. ईनाम ने भी सभा को संबोधित किया।
आयोजित सभा मे विशेष रूप से शामिल होने वालों मे मौलाना अबुल कलाम कासमी कारी इस्लामुल हक मौलाना अशरफ कासमी अबू सुफियान हाफिज फसीह अहमद मोहम्मद जहांगीर आलम शफी अहमद कासमी हाजी शकील, डॉ. सोहेल मुतवली मो ० याह्या अध्यक्ष इफ्तिखार आदिल, सरफराज अनवर, समाजिक कार्यकर्ता सलमान खुर्शीद, अबू सालेह, मुरसलिन,अकील, मो शकील तबरेज,अरमान, मौलाना मेहदी कासमी,अब्दुल कय्यूम, अलहाज असगर,कारी साजिद, हाफिज ताहा, और गांव के सभी युवाओं ने बैठक में भाग लिया और बैठक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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