बशारिखपुर गाव निवासी व्यक्ति की तीन माह पहले हुई थी मौत।
सिकन्दरपुर,बलिया।
थाना क्षेत्र के गांव बसारिकपुर निवासी सुभाष चंद्रा चौहान (46) का शव तीन महीने बाद सात समंदर पार से सोमवार की सुबह गांव पहुंचा । जैसे ही शव एंबुलेंस द्वारा गांव पहुंचा पूरे गांव के लोग इकट्ठा हो गए परिजन दहाड़ मार कर रोने लगे ।
रिपोर्ट/इमरान खान/मनीष गुप्ता
घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य विदेश में रहकर मजदूरी करने वाले सुभाष चंद्रा अपने परिवार की आजीविका चलाने हेतु विदेश में नौकरी करते थे। कोरोना संक्रमण के पहले ही वे 8 अप्रैल 1019 को रियाद (सऊदी अरब) गए थे । जंहा काम करते समय ऊंचाई से गिरने के कारण उनकी मौत हो गई । वहां हुई मौत के बाद अरब देशों के कानून के बाद काफी मशक्कत करने पर भारत सरकार की पहल पर मृतक शरीर को वापस भारत लाया जा सका ।
ज्ञात हो कि 30 जून को सुभाष चंद के मृत्यु के करीब तीन दिन बाद घर वालों को पता चला था कि उनकी मौत हो चुकी है । पर घर वालों को यह ज्ञात नहीं था कि किस प्रक्रिया के तहत मृत शरीर को वापस लाया जाय। इसको लेकर पूरा परिवार परेशान था । लेकिन बलिया जिले के ही एक समाजसेवी की पहल पर देश के विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के पहल के बाद जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए सभी दस्तावेज राजनीतिक दूतावास रियाद और उसके बाद वाणिज्य दूतावास इददाह से संपर्क कर मृत शरीर को वापस अपने वतन में लाने के प्रयास में सफलता मिली है । रविवार की सुबह उनका शव दिल्ली एयरपोर्ट पर आया जहां से स्थानीय औपचारिकताएं पूरा करने के बाद शव एंबुलेंस से सोमवार की सुबह घर पहुंचा ।
इनसेट-
मृतक अपनें परिवार का इकलौता पालनहार था
सऊदी अरब में नौकरी कर अपने परिवार की आजीविका चलाने वाले सुभाष चंद चौहान के परिवार को यह क्या पता था कि 18 अप्रैल 2019 को जाने वाले घर के पालनहार पुनः वापस नहीं लौटेंगे ।
विगत 10 सालों से सऊदी अरब के रियाद में मजदूरी कर अपने घर का भरण पोषण करने वाले सुभाष चंद के परिवार को यह क्या पता था कि हर एक दो साल पर घर आकर घर की जिम्मेदारियों को ठीक जनजीवन करने वाले सुभाष चंद चौहान अब पुनः वापस नहीं आएंगे उनकी पत्नी विद्यावती देवी ने बताया कि फोन पर 28 जून को ही उनसे बात हुई थी और उन्होंने जल्द ही घर आने का वादा किया था।
लेकिन यह क्या पता कि उनके द्वारा किए गए वादा केवल वादा ही रह जाएगा मृतक सुभाष चंद्र के परिवार में 20 वर्षीय पुत्री अनीता चौहान 18 वर्षीय प्रियंका चौहान 15 वर्ष बबली चौहान जबकि सबसे छोटे उनके बेटे संत कुमार उम्र 13 वर्ष को यह नहीं पता था कि उनके पिता जी से आखिरी बात उनकी आखिरी ही रहा जाएगी।
वहीं ग्राम प्रधान ने पीड़ित परिवार को हर संभव मदद करने का भरोसा दिया है।
0 Comments