सिकन्दरपुर,बलिया।।(अभिषेक,तिवारी) स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर जिसे फर्स्ट रेफरल यूनिट का दर्जा प्राप्त है तथा सदर अस्पताल के बाद सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज इस अस्पताल में होता है।आज प्रशासनिक उदासीनता का शिकार हो गया है।
ज्ञात हो कि विगत 6 माह से बाल रोग विशेषज्ञ अजय तिवारी के अन्यत्र स्थानांतरित हो जाने से बाल रोग विशेषज्ञ की कुर्सी धूल फांक रही है।नौनिहालों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है।महिलाएं प्रतिदिन अपने बीमार बच्चों को लेकर आती हैं तथा निराश हो कर अन्यत्र इलाज हेतु विवश हो जाती है जहां निजी चिकित्सक उनका जमकर आर्थिक शोषण करते है।
जांच घर का हाल यह है कि कोई जांच समय पर नहीं होती।एक्स रे विभाग आज भी पुरानी पद्धति पर संचालित हो रहा है तथा कोई भी आधुनिक सुविधा उपलब्ध नहीं है।आलम यह है कि कभी कभार एक्सरे फ़िल्म भी नहीं उपलब्ध रहती है।जानकारी के अनुसार कोविड अस्पताल बसंतपुर में कुछ माह पूर्व यहाँ का जनरेटर चले जाने के बाद अभी तक जनरेटर उपलब्ध नहीं हो पाया है।
जिसके कारण अगर बिजली चली जाए तो एक्सरे होना मुश्किल हो जाता है जिसका भरपूर लाभ बाहरी जांच घर वाले उठाते हैं।सरकार की योजनाएं केवल कागज तक ही सीमित है।गौरतलब है कि एन्टी रैबीज इंजेक्शन की उपलब्धता की कभी कभार कमी हो जाती है लेकिन भरपूर मात्रा में आवारा कुत्ते अस्पताल के ओपीडी एवं वार्डों में घूमते नजर आते हैं।
जिस पर किसी भी कर्मचारी की नजर नहीं पड़ती।प्रत्येक चिकित्सक अपने साथ एक निजी सहायक रखता है जो मरीजो को मोटी कमीशन के चक्कर मे बाहरी दवाओं के लिए प्रेरित करते हैं।चूंकि चिकित्सा अधीक्षक के रूप में डॉ अजय तिवारी के न होने से इस पर किसी का लगाम नही है।क्षेत्रीय लोगो का कहना है कि लोगो का इलाज करने वाला यह अस्पताल खुद ही बीमार हो गया है।
उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के परिणामस्वरूप अस्पताल में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है।जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।जहां सरकार विकास का दावा करती है वहीं यह दुर्व्यवस्था उसकी पोल खोलती है।
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