बलिया, उत्तर प्रदेश।।
धान खरीफ की मुख्य फसल है। अगर कुछ बातों का शुरु से ही ध्यान रखा जाए तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी। धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए बीजों का अच्छा होना जरुरी है। कई बार किसान महंगा बीज-खाद तो लगाते है, लेकिन सही उपज नहीं मिल पाती है, इसलिए बुवाई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए। बीज महंगा होना जरुरी नहीं है बल्कि विश्वसनीय और आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए।
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले किसानों को सलाह देते हुए बताया कि हर जगह के हिसाब से धान की किस्में विकसित की जाती हैं, इसलिए किसानों को अपने जनपद /क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की ही खेती करनी चाहिए।
माह मई की शुरुआत से किसानों को खेती की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, ताकि मानसून आते ही धान की रोपाई कर दें।"किसानों को बीज शोधन के प्रति जागरूक होना चाहिए। बीज शोधन करके धान को कई तरह के रोगों से बचाया जा सकता है। *नर्सरी डालने का समय* यदि मई के अंतिम सप्ताह मे नर्सरी नही डाली हो तो जून के प्रथम पखवाड़े तक नर्सरी अवश्य डाल दे। सुगंधित किस्मों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह मे डालनी चाहिए।
अपने क्षेत्र कि हिसाब से करें धान की किस्मों का चुनाव
" अधिकतर किसान, बीज विक्रेता, अपने पड़ोसी, या रिश्तेदार के कहने पर ही धान का बीज चुनता है,जबकि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से धान की किस्मों को विकसित किया जाता है, क्योंकि हर जगह की मिट्टी, वातावरण अलग तरह का होता है। अपने क्षेत्र के लिए विकसित धान की किस्मों का चयन करे तभी अच्छी पैदावार मिलेगी।
पूर्वांच्चल के लिये विकसित किस्में
असिंचित दशा नरेन्द्र-118, नरेन्द्र-97, साकेत-4, बरानी दीप, शुष्क सम्राट, नरेन्द्र लालमनी 90-110 दिन में पक कर तैयार ,सीधी बोआई, 15 जून से जुलाई का प्रथम सप्ताह।
*सिंचित दशा:* सिंचित क्षेत्रों के लिए जल्दी पकने वाली किस्मों में पूसा-169, नरेन्द्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेन्द्र धान-2065 पकने की अवधि 90-125 दिन उपज क्षमता 45-60 कु./है.
मध्यम पकने वाली किस्मों में पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेन्द्र-359, नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर-381 प्रमुख किस्में हैं। जो 125 -135 ,दिन मे पक कर तैयार हो जाती है। उपज60-65कु/है.
ऊसरीली भूमि के लिए धान की किस्में:* नरेन्द्र ऊसर धान-3, नरेन्द्र धान-5050, नरेन्द्र ऊसर धान-2008, नरेन्द्र ऊसर धान-2008, अवधि 125-145 दिन ,उपज 45-55कु./है.
*जलभराव क्षेत्र के लिये.किस्में* वी.पी.टी.5204,ए.एन.डी.आर-8002, स्वर्णा सब-1 जो 145-155दिन मे पक कर तैयार होती है। उपज क्षमता 35-40 कु./है.
सुगंधित किस्में* टा-3,बासमती-370, पूसा बासमती -1, नरेन्द्र सुगंधा,. 130-140 दिन मे पक कर तैयार ,उपज क्षमता 30-45 कु./ है.
*बीज की मात्रा* बीज की दर प्रति वर्ग मीटर पौधो की संघनता,बिचडे़ की उम्र, बीज के आकार पर निर्भर करता है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए महीन किस्में 30 किग्रा. मध्यम 35 किग्रा. मोटे धान.40 किग्रा , ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा, जबकि संकर किस्मों के लिए 20 किग्रा. बीज की आवश्यकता होती है।
*नर्सरी हेतु क्षेत्रफल एवं क्यारियां* एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई के लिए 800-1000 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र की आवश्यकता होती है।पौधे तैयार करने हेतु 1.25 मीटर चौड़ी व 8 मीटर लम्बी क्यारियां बना लेते है, तथा प्रति क्यारी (10 वर्ग मीटर) में 225 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 50 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाते है।
ऐसे करें अंकुरित बीज
नर्सरी डालने से पहले स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% +ट्रेट्रासाईक्लीन हाईड्रोक्लोराइड 10% की 4 ग्राम मात्रा 100 लीटर पानी मे मिला कर बीज को घोल मे रात भर भिगों दे। दूसरे दिन बीज को छानकर उपचारित बीज को गीले बोरे में लपेटकर ठंडे कमरें में रखें। समय समय पर इस बोरे पर पानी का छींटा देते रहें। लगभग 36-48 घंटे बाद बोरे को खोलें। बीज अंकुरित होकर नर्सरी डालने के लिए तैयार हो जाते हैं। पहले से बनी क्यारियों में सायंकाल पानी भर कर अंकुरित बीज की बुआई करें। यदि गर्म मौसम हो तो दूसरे दिन सुबह पानी निकाल दे। तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे। 21- 25 दिन में रोपने योग्य नर्सरी तैयार हो जाती है।
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