बलिया। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन सोमवार को विश्वविद्यालय द्वारा एनआईसी के सभागार में 'जेएनसीयू एंड इंटीग्रल बांड्स विथ लिविंग लिजेंड्स' विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने आभासी दीप प्रज्वलन करके किया।
अतिथियों और वक्ताओं का स्वागत करते हुए प्रो कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि 'लिविंग लिजेंडस ऑफ बलिया' के माध्यम से मैं बलिया की माटी में जन्में उन विभूतियों को जोड़ने का प्रयास कर रही हूँ, जो यहाँ से बाहर रहकर अपने कर्मक्षेत्र के शिखर पर पहुँचे हैं।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने वीडियो संदेश दिया।
उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास में सहयोग देने का भरोसा दिया और विश्वविद्यालय द्वारा जनपद की विभूतियों को जोड़ने के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन अनूठी पहल से विश्वविद्यालय और बलिया का मार्ग प्रशस्त होगा।
वेबिनार को संबोधित करते हुए रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य श्री घनश्याम सिंह ने भोजपुरी में ' सबके गोड़ छू के गोड़ लाग तानी' कहकर अपनी माटी से गहरे लगाव का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि यह वेबिनार समुद्र- मंथन की तरह है, जिससे अमृत का निकलना तय है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि बलिया के लिए मेरे स्तर से जो भी सम्भव है, अवश्य करूँगा।
वेबिनार के प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो आर सी श्रीवास्तव, कुलपति डॉ आर पी ए सी विवि, समस्तीपुर, ने पूरा व्यख्यान भोजपुरी में दिया और सुझाव दिया कि सभी विभूतियों को लेकर ' बलिया डेवेलपमेंट फोरम' बनाया जाय, जो बलिया के चतुर्दिक विकास का मार्ग प्रशस्त करे।
जल और कृषि के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का लाभ देने का वादा भी उन्होंने किया। प्रो प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक, सीएसआईआर, धनबाद ने प्रतिभावान गरीब बच्चों की पढाई सुनिश्चित करने के लिए अपनी ओर से सहयोग करने का वादा किया। साथ ही बलिया को आर्सेनिक के कुप्रभाव से बचाने के लिए अपने स्तर से मदद देने की बात कही।
इनके अलावा प्रो जेपीएन पाण्डेय, सुरेश तिवारी, प्रो राजनाथ यादव, डॉ अनिल कुमार मिश्र आदि विभूतियों ने बालिया से जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त की और अपने स्तर से बलिया के विकास हरसंभव योगदान करने का आश्वासन दिया।
इस वेबिनार में नीति आयोग के सीइओ श्री अमिताभ कांत ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि जिले के विकास की असीम संभावनाएं हैं। मैं चाहता हूँ कि बलिया आधुनिक और प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ जिला बने। इस दिशा में विश्वविद्यालय प्रयास करे, भारत सरकार और नीति आयोग इस लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करेगा।
इसके अलावा डॉ अवनीश कुमार सिंह , प्रो हरेन्द्र कुमार सिंह, श्री राजीव कुमार सिन्हा, प्रो हर्ष कुमार सिन्हा आदि ने महत्वपूर्ण विचार रखे। प्रो हर्ष कुमार सिन्हा ने अपने पिता की स्मृति में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को पुरस्कार देने की घोषणा की।
समापन सत्र में बतौर मुख्यातिथि राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश जी सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि भले ही मैं बलिया से बाहर रहा, लेकिन इस धरती से जीवंत संबंध हमेशा बना रहा। बलिया के राजनेताओं, साहित्यकारों को याद करते हुए महर्षि भृगु से लेकर कृष्ण बिहारी मिश्र तक को याद किया और कहा कि अपने इतिहास को सहेजने और प्रकाशित करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय को उठानी चाहिए। अपनी विभूतियों से जुड़ने का भाव हमेशा हमारे भीतर ज़िंदा रहना चाहिए।
इसके अतिरिक्त इस सत्र में प्रो जगदीश शुक्ल, श्री तारकेश्वर सिंह, श्री रंजीत बहादुर सिंह, डॉ रामेश्वर चौबे, श्री परेश प्रकाश ने संबोधित किया।
संचालन डॉ दयालानंद रॉय, डॉ रामकृष्ण उपाध्याय, डॉ, प्रमोद शंकर पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन डॉ जैनेन्द्र पाण्डेय और डॉ यादवेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री हरिप्रताप शाही, सीडीओ विपिन जैन काफी देर तक कार्यक्रम में बैठे रहे। डॉ दिलीप कुमार श्रीवास्तव, डॉ अरविन्द नेत्र पाण्डेय, डॉ प्रतिभा पाण्डेय, डॉ निवेदिता श्रीवास्तव, डॉ सुधाकर तिवारी, डॉ निशा राघव, डॉ ममता, डॉ अखिलेश राय, डॉ अरविंद उपाध्याय, डॉ नेहा, आयुषी उपाध्याय आदि गणमान्य लोग जुड़े थे।
मोहम्मद सरफराज, बलिया ब्यूरो
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