बलिया।।आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि वायु प्रदूषण लोक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। वायु प्रदूषण के लिए किसानों के द्वारा पराली जलाए जाने को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। किसानों के द्वारा खेत में पराली जलाने पर उससे निकला धुआं हवा खराब कर रहा है।
इससे जमीन मे मौजूद हमारे मित्र जीव , जन्तु, जीवाणु आदि जल कर मर जाते है। जमीन का जीवाँश,पोषक तत्व जलने से उर्बरा शक्ति कमजोर हो जाती है।
पराली जलाये नही बल्कि उसका उपयोग करे। आधुनिक मशीनों जैसे, हैप्पी सीडर , सुपरसीडर, मल्चर , वेलर.चापर आदि का प्रयोग करके जमीन के अन्दर मिला कर कार्बन की मात्रा बढाने के साथ साथ जल संरक्षण की क्षमता को भी बढाया जा सकता है। धान के पुवाल का उपयोग मशरुम उत्पादन के लिए काफी लाभदायक है। एक कुन्टल पुवाल की कुट्टी से 10 किग्रा मशरुम उत्पादन होता है।
धान के पुवाल पशुओं के चारे के रूप मे अन्य चारों के साथ मिला कर खिलाया जाता है। खेत के किनारे एक गढ्ढा खोद कर उसमे पराली डालकर खाद बनाया जा सकता है। पराली को खाद में बदलने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली ने 20 रुपए की कीमत वाली 4 कैप्सूल का एक पैकेट तैयार किया है। 4 कैप्सूल से छिड़काव के लिए 25 लीटर पानी का घोल बनाया जा सकता है और एक हेक्टेयर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले 5 लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ उबालना है और ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम चना का बेसन मिलाकर कैप्सूल घोलना है्।
इसके बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखना होगा, जिसके बाद पराली पर छिड़काव के लिए पदार्थ तैयार हो जाता है। इस घोल को जब पराली पर छिड़काव किया जाता है ,तो 15 से 20 दिन के अंदर पराली गलनी शुरू हो जाती है और किसान अगली फसल की बुवाई आसानी से कर सकता है, आगे चलकर यह पराली पूरी तरह गलकर खाद में बदल जाती है और खेती में फायदा देती है। एक हेक्टेयर खेत में छिड़काव के लिए 25 लीटर बायो डिकम्पोजर के साथ 475 लीटर पानी मिलाया जाता है।
किसी भी फसल की कटाई के बाद ही छिड़काव किया जा सकता है. इस कैप्सूल से हर तरह की फसल की पराली खाद में बदल जाती है और अगली फसल में कोई दिक्कत भी नहीं आती है। ये कैप्सूल 5 जीवाणुओं से मिलाकर बनाया गया है जो खाद बनाने की रफ्तार को तेज करता है। पराली जलाने पर कानूनी कार्यवाही करने का भी प्रावधान सरकार ने बनाया है ,जुर्माना के साथ -साथ जेल भी हो सकता है। पराली न जलाये पर्यावरण बचाये साथ ही खेती को लाभदायक बनायें।
👉मोहम्मद सरफराज, बलिया ब्यूरो
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