बलिया।बेरोजागरी के मुद्दे पर पिछले एक पखवाड़े से सोशल मीडिया पर आंदोलन कर रहे देशभर के लाखों छात्र और प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थीयों ने अब इस विरोध को एक कदम आगे बढ़ाते हुए,कोरोना काल में सड़कों पर न उतरकर, आंदोलनकारी छात्रों नें शनिवार शिक्षक दिवस के दिन शाम को 5 बजे 5 मिनट तक ताली-थाली बजाया और बढ़ती बेरोजगारी, भर्ती परीक्षाओं और उनके परिणामों के स्थगन आदि के खिलाफ अपना विरोध प्रकट किया।
इसी के तहत बलिया जिले के बांसडीह थाना के अंतर्गत केवरा में शिक्षित बेरोजगार युवा बर्ग नें, रोज़गार के सवाल पर थाली और ताली बजाई।
उनका कहना है कि आज हम लोगों ने ताली थाली बजाकर इस गूँगी-बहरी सरकार को जगाने का प्रयास किया है।
युवाओं का कहना है कि सरकार निशुल्क राशन, गैस , इत्याद सुविधा दे कर युवा को आलसी और बेरोजगार बना रही है। हम लोगो को निषुल्क सुविधा नही रोजगार चाहिये कि मांग ताली थाली बजाकर किया।
वैसे तो हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस होता है. लेकिन शिक्षकों के पढ़ाए हुए छात्र आज क्या कर रहे हैं? ताली-थाली पीट रहे हैं. क्यों? एक अदद नौकरी के लिए. वो ‘समय पर’ प्रतियोगी परीक्षाएं कराने और उनके नतीजों की मांग कर रहे हैं।
पिछले कई दिनों से केंद्र सरकार को छात्रों की तरफ से संदेश दिए जा रहे थे। सांकेतिक विरोध दर्ज किया जा रहा था। तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई यूट्यूब वीडियो में डिसलाइक की भरमार से लेकर उन्हीं के दिए ताली-थाली वाले आइडिया तक ये सब हो रहा है,ताकि छिटपुट आवाज़ें इकट्ठा होकर सरकारी कानों पर गिरें ताकि सरकार का इस तरफ ध्यान आकर्षित हो।
रिपोर्ट:-सूर्यप्रकाश तिवारी
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