सोहांव, बलिया। देश की जलवायु ऐसी है कि पूरे वर्ष भर किसी न किसी क्षेत्र मे बड़े पैमाने पर फल एवं सब्जियां उगायी जाती है। परन्तु यह जल्दी खराब होने वाला उत्पाद है । एक अनुमान के अनुसार 10 से 30% फल ,सब्जियां खेत/ बाग से उपभोक्ताओं के पास पहुंचे से पहले ही खराब हो जाती है, अपने देश में 2% से कम फल एवं सब्जियों का प्रसंस्करण किया जाता है । जबकि विकसित देशों मे 50 से 80% तक प्रसंस्करण होता है ।
आचार्य नरेंन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि बलिया जनपद में फलों एवं सब्जियों का परिरक्षण नहीं के बराबर है। परिरक्षण न होने से ज्यादातर सब्जियां खराब हो जाती है। जबकि जनपद मे फल एवं सब्जियों के प्रसंस्करण में उधमिता विकास की अपार संम्भावनाए हैं। एक ही फल व सब्जी को विभिन्न पदार्थों मे प्रसंस्कृत किया जा सकता है। तथा अधिक लाभ कमाया जा सकता है। केंद्र की महिला वैज्ञानिक गृह विज्ञान डॉ (श्रीमती) प्रेमलता श्रीवास्तव का कहना है कि फलों से चटनी, अचार ,शरबत, मोरब्बा, जैम ,जैली आदि बनाया जा सकता है।
बलिया जनपद में आम, लीची अमरूद, नीबू आदि सीजन मे उपलब्ध रहता है ।सीजन के अनुसार सब्जियों में आलू,परवल, मूली गाजर, टमाटर ,मिर्च ,अदरक लहसुन, गोभी आदि से भी विभिन्न पदार्थ बनाकर उसे आय अर्जित किया सकता है ।उक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र द्वारा 1 से 4 सितंबर तक फल व सब्जी परिरक्षण पर प्रशिक्षण निशुल्क आयोजित किया जा रहा है केन्द्र द्वारा किसी प्रकार का यात्रा भत्ता देय नही है। इच्छुक महिलाएँ/नवयुवतियाँ/ प्रवासी श्रमिक केन्द्र पर सम्पर्क कर दिनांक 31 अगस्त तक आवेदन पत्र भर कर पंजीकरण कराकर प्रशिक्षण में भाग ले सकते है।
अथवा आवेदन पत्र नाम, पता. मोबाइल,आधारकार्ड संख्या, फोटो, सहित ईमेल या हाटसप कर सकते है। प्रशिक्षण मे भाग लेने हेतु स्वीकृति मिलने के बाद ही कोरोना से बचाव हेतु जारी गाईड लाईन के अनुसार मास्क पहन कर ही केन्द्र परिसर मे प्रवेश करे। यहाँ आने पर कोरोना हेल्प डेस्क पर जाँच के बाद ही प्रशिक्षण हाल मे जा सकेगे। समाजिक दूरी दो गज का पालन करे। साबुन से कम से कम 30 सेकेंड तक हाथ धोये।
0 Comments