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समाजसेवी बब्लू पांडे के नेतृत्व में नगरवासियों ने एसडीओ विद्युत विभाग को 7 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा



  महेश कुमार की रिपोर्ट

रेवती।बलिया।विद्युत व्यवस्था से नाराज नगरवासियों नें समाज सेवी के नेतृत्व में मांगपत्र सौंपा।


 पिछले कई वर्षों से विद्युत दूर व्यवस्था से परेशान रेवती नगर पंचायत के समाजसेवी बब्लू पांडे के नेतृत्व में रेवती नगर पंचायत के सैकड़ों व्यापारियों ने रविवार को अपनी अपनी दुकान बंद करके रेवती पावर हाउस के सामने अपनी 7 सूत्रीय मांग  को लेकर  सुबह लगभग 11:00 बजे से ही धरने पर बैठ गए।एसडीओ के आश्वासन पर अपराह्न 3:00 बजे धरना समाप्त हुआ। बताते चलें कि रेवती नगर पंचायत की आधी आबादी पिछले 1 महीने से अंधेरे में रह रही है। नगर पंचायत रेवती के 5 ट्रांसफार्मर पिछले 1 महीने से जले पड़े हैं। इस बीच कई बार पावर हाउस पर धरना प्रदर्शन भी हुआ लेकिन मामला जस का तस बना रहा। रविवार को अपनी विभिन्न मांगों के साथ बब्लू पांडे ने एसडीओ एके वर्मा को ज्ञापन देते हुए मांग किया। कि तत्काल रेवती नगर पंचायत में जले ट्रांसफार्मर को बदला जाए वरना जनता सड़क से सदन तक इसकी लड़ाई लड़ेगी। एसडीओ ने आश्वासन दिया कि बुधवार तक 400 केवीए ट्रांसफॉर्मर और 100 केबी ए  तथा 63 केवीए का ट्रांसफार्मर रविवार तक लगाया जा सकता है। तब जाकर धरना समाप्त हुआ यही नहीं रेवती विद्युत उपकेंद्र पर बूस्ट चार्जर लगभग डेढ़ वर्षो से जला पड़ा है। जिस को बदलने के लिए भी बब्लू पांडे ने मांग किया।कहा  कि अगर यह बूस्ट चार्जर ठीक रहता तो पिछले महीने दो लड़कियां 11000 बोल्ट की करंट से नहीं मरती। इस मौके पर जेई आनंद कुमार रेवती थाना अध्यक्ष शिव मिलन उपनिरीक्षक परमानंद त्रिपाठी उप निरीक्षक गजेंद्र राव एसआई सदानंद यादव अपने हमराही ओं के साथ मुस्तैद थे। बासडीह विधानसभा के पूर्व विधायक शिव शंकर चौहान केवल ओझा, वीर बहादुर पाल, हीरालाल पांडे, दिनेश कुमार, अमित पांडे उर्फ (पप्पू) ओंकार नाथ ओझा, समाजसेवी बब्लू पांडे, अपने सैकड़ों समर्थक साथ विद्युत केंद्र पर डटे रहे है।

विद्युत विभाग कई वर्षों से सिर्फ आश्वाशन ही देता रहा है

नगर पंचायत रेवती की विद्युत उपकेंद्र की समस्या विगत कई वर्षों से चरमर है। बिजली से परेशान नगरवासी पावर हाउस तक पहुंचते हैं और अधिकारियों की हवा हवाई आश्वासन सुन घर वापस लौट जाते हैं। समस्या वहीं की वहीं रह जाती है अब यह देखना है कि क्या वास्तव में इस बार अधिकारी कुछ कर पा रहे हैं कि नहीं कि यह भी बातें सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाएंगी।

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