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साप्ताहिक बन्दी किसी समुदाय विशेष का नहीं है यह सभी जाती वर्ग के लिए है- एडवोकेट जितेश कुमार वर्मा




सिकन्दरपुर, बलिया। 12 जुलाई।अधिकारियों की अनदेखी के चलते सिकन्दरपुर में साप्ताहिक बंदी के दिन शुक्रवार को भी कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले हुवे मिले है। इससे श्रमिकों का शोषण हो रहा है और नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

सिकन्दरपुर कस्बा में साप्ताहिक बंदी का दिन शुक्रवार निर्धारित है। फिर भी कुछ दुकानदार व अन्य व्यापारी श्रम कानूनों का उल्लंघन कर साप्ताहिक बंदी के दिन भी दुकानें व व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रख रहे हैं। 
इससे दुकानों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले श्रमिकों को सप्ताह में एक दिन भी छुट्टी नहीं मिल पा रही है। व्यापारी श्रमिकों का शोषण कर रहे है।

 कुछ दुकानदारों का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि श्रम विभाग द्वारा बड़े दुकानदारों को साप्ताहिक बंदी के दिन प्रतिष्ठान खोलने की छूट दी गई है।

 इसके कारण अन्य व्यापारियों को भी मजबूरन अपनी दुकानें खोलनी पड़ती हैं। दुकानदारों की मांग है कि साप्ताहिक बंदी के दिन व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने वाले दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

इस अवसर पर समाज सेवी जितेश कुमार वर्मा ने खेद व्यक्त करते हुवे कहा है कि साप्ताहिक बन्दी किसी समुदाय विशेष का नहीं है। यह सभी जाती वर्ग के लिए है सप्ताह में एक दिन शरीर रूपी मशीन को भी आराम की आवश्यक्ता है। एक दिन आराम करने को मिलता है जिससे मन मस्तिष्क को शांति का अनुभव होता है तथा व्यक्ति अपने आप को तरो ताजा महसूस करता है। 
परन्तु नगर के कुछ व्यपारी अपने ताना शाही रवय्या से इस साप्ताहिक बंदी को असफल बनाना चाहते हैं। श्रम कानून का भी उल्लंघन करनें से इन्हें को गुरेज नहीं ये लोग अपने दुकान पर मजदूरी कर रहे लोगों का भी बंदी के दिन शोषण कर रहे हैं। 
इन लोगों के मन माने रवय्ये से नगर के कुछ छोटे दुकानदार भी मजबूरन अपनी दुकानें ये कहकर खोल रहे हैं कि अगर हम अपनी दुकान नहीं खोलेंगे तो हमारे ग्राहक भी इनके दुकानों पर चले जाएंगे और हमारी दुकानदारी भी हताहत होगी। 
दुकानों का खोला जाना एक तरह सर सिकन्दरपुर व्यपार मंडल की विफलता भी कहा जा सकता है जो कि अन्य जगहों की तरह एक्टिव नहीं है।

उन्हों ने श्रम विभाग से मांग की है कि एक नजर सिकन्दरपुर पर भी करें जिससे कि साप्ताहिक बंदी पूर्ण रूप से लगु हो सके।

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