मो०.इमरान खान सिकन्दरपुर, बलिया। 30 जून। अगर आपका बच्चा किसी दिन अचानक से सुस्त हो जाता है तथा उसका शरीर गरम हो जाता है तो ज़रूर यह किसी रोग का सूचक है। यह रोग चेचक भी हो सकता है। चेचक मनुष्य में पाई जाने वाली एक गम्भीर बीमारी है। इस संक्रामक रोग से अधिकांश छोटे बच्चे ग्रसित होते है। यह बीमारी बसन्त ऋतु या फिर ग्रीष्म काल में होती है। यदि इस रोग का उपचार समय से न किया गया तो रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। चेचक का रोग (वेरिसेला जोस्टर) के वायरस के द्वारा फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है। भारत में चेचक को बड़ी माता और छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। चेचक रोग के वायरस थूक, यूरिन और नाखूनों आदि में पाएं जाते हैं, और यह वायरस हवा में घुलकर साँस के द्वारा बच्चे के शरीर में आसानी से प्रवेश करते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में (मसूरिका) के नाम से भी जाना जाता है। मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर भी चेचक हो जाता है। जैसा कि पता है कि चेचक एक संक्रामक बीमारी है इसीलिए चेचक के दाने का पानी दूसरे व्यक्ति के ऊपर लगने पर चेचक रोग के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी क्रम में डॉक्टर व्यास ने कहा है कि कुछ जरूरी एहतियात बरतने से चेचक से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि चेचक (चिकन पॉक्स)एक संक्रमिक रोग है जो मुख्यतः वायरल इन्फेक्शन से होता है। इसमें उम्र की कोई सीमा नहीं होती यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। बचाओ- वैसे तो चेचक कभी भी हो सकता है मगर ज्यादातर गर्मी और बरसात में अधिक मात्रा में होते हैं। साफ सफाई से रहना तथा स्वस्थ भोजन का उपयोग करना ही इसका मुख्य उपाय है। इससे संक्रमित व्यक्ति के आस पास जाने से बचें उसे भीड़भाड़ वाली जगहों पर ना ले जाए उसे खुली हवादार स्थान पर रखें तथा आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें तथा समय-समय पर चिकित्सक से उचित सलाह लेते रहे।
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