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बलिया जनपद के इस थाने के पीछे चलता है अवैध कच्ची शराब का गोरख धन्धा





पूर्व पुलिस अधीक्षक बलिया सुजाता सिंह का प्रयास भी रहा विफल 
कच्ची शराब के सेवन से अनगिनत परिवार हुए बर्बाद

रेवती। बलिया एक तरफ प्रदेश की पुलिस सरकार की मंशा के अनुरूप अवैध शराब कारोबारियों के पीछे कमर कस के तेजी से पड़ी है वहीं बलिया जनपद के रेवती थाने के पीछे कच्ची शराब की अवैध धंधा धड़ल्ले से चल रही है। 
बताते चलें कि बरसों से लघु कुटीर उद्योग के रूप में पनपा अवैध कच्ची महुआ की शराब बृहद पैमाने पर देखते-देखते बृहद रूप में संचालित होने लगी जिसकी सप्लाई जनपद के कोने कोने के साथ बलिया से सटे गैर जनपदों में भी होने लगी कारोबार में लिप्त एक व्यक्ति ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पहले दो-चार परिवार ही  कच्ची शराब के धंधे में लिप्त थे जो पहले  महुआ और गुड़ से शराब निर्मित करते थे जिसके सेवन से लोगों के शरीर के ऊपर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता था परंतु अब नौसादर, यूरिया, पशुओं को लगने वाला इंजेक्शन, गुड़ तथा आंशिक महुआ से कच्ची शराब को निर्मित किया जाने लगा जिसके सेवन से लोगों के शरीर के ऊपर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ने लगा जिससे लोग लीवर , किडनी, कैंसर ,इत्यादि गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने लगे कच्ची शराब के सेवन से अनगिनत परिवारों का घर उजड़ गया तथा कितने लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी जिसका कोई भी आंकड़ा शासन तथा प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है ।

सन 90 के दशक में पुलिस प्रशासन द्वारा कमर कस के कच्ची शराब के अवैध धंधे को बंद करने के लिए तत्कालीन थाना अध्यक्ष राकेश शुक्ला ने अपने कार्यकाल में बृहद पैमाने पर कार्रवाई कर शराब कारोबारियों की कमर तोड़ दिया था जो समस्त क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया तथा समस्त क्षेत्रवासियों में यह विश्वास व्याप्त हो गया कि अब इस अवैध और जहरीली शराब से आम जनमानस को मुक्ति मिल जाएगी परंतु थाना अध्यक्ष शुक्ला के जाने के उपरांत शराब कारोबारियों ने अपना जाल ऐसा बिछाया कि यह लघु कुटीर उद्योग बड़े पैमाने पर थाना रेवती के नाक के नीचे फलने फूलने लगा जिसकी अनदेखी समस्त थानाध्यक्ष विगत कई वर्षों से करते आ रहे हैं। 

बलिया जनपद की पहली महिला पुलिस अधीक्षक सुजाता सिंह ने सन 2017 में अपने कार्यकाल के दौरान इस अवैध जहरीली कच्ची शराब के धंधे में लिप्त परिवारों को इस नरकीय कार्य से बाहर लाने के लिए सराहनीय कार्य करने का प्रयास किया था पुलिस अधीक्षक सुजाता सिंह ने इस कारोबार में लिप्त महिला और पुरुष को शासन तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से रेवती थाने पर बुलाकर इस धंधे को छोड़ और धंधा जैसे _सिलाई, कढ़ाई, अगरबत्ती बनाने ,बिंदी बनाने का कारोबार करने के लिए, प्रशिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया था जिससे इस धंधे में लिप्त परिवार के लोगों ने अपनी इच्छा से पुलिस अधीक्षक का सहयोग करने को तैयार हो गए थे लेकिन इस क्षेत्र का दुर्भाग्य रहा कि कप्तान सुजाता सिंह का स्थानांतरण होने के बाद यह सराहनीय कार्य शुरू होने से पहले ही रुक गया इसके पश्चात आए समस्त उच्च अधिकारियों ने इस समस्या के समाधान को संज्ञान में नहीं लिया जिसके कारण आज इस क्षेत्र की स्थिति दयनीय बनी हुई है। 
पुलिस प्रशासन द्वारा कार्रवाई के नाम पर दिखावे के लिए खानापूर्ति करती है परंतु धरातल के कारोबारियों पर अब तक इसका कोई असर नहीं पड़ा है 
सप्ताह में 1 से 2 दिन स्थानीय पुलिस कारोबारियों के यहां दबिश बनाकर 50 से 100 लीटर शराब के साथ एक दो लोगों को पकड़कर उच्च अधिकारियों के सामने अपनी पीठ थपथपा लेती है वहीं शराब कारोबारी भी अपने में चैनल के हिसाब से कच्ची शराब के साथ गिरफ्तारी की खानापूर्ति करके कोरम पूरा कर देते हैं। 
इस पुलिसिया कार्रवाई से ना तो शराब कारोबारियों पर कोई असर पड़ता है नहीं दैनिक मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले गरीब मजदूरों पर ,जो इस जहरीली शराब के आदी हो चुके हैं और अपने इन दिनचर्या के कारण आए दिन अपने परिवार में मारपीट तथा कलह करते रहते हैं 
उनके परिवार वालों को भी पुलिस की दिखावे की कार्रवाई से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण कई परिवार नित्य प्रतिदिन बर्बाद हो रहे हैं। 
अगर शासन ,प्रशासन अपनी पैनी नजर इन कच्ची जहरीली शराब कारोबारियों पर नहीं लगाया  तो आने वाले समय में युवा पीढ़ी भी इस जहरीली शराब के चपेट में आने से बर्बाद हो जाएंगे। 
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*इस थाने की  है कुछ खासियत* 

रेवती थाने पर आए सिपाही वर्षों से जमे रहते हैं यहां से स्थानांतरण होने के बाद भी अपने जुगाड़ फिट कर वापस स्थानांतरण आदेश को निरस्त करवा देते हैं जो लोगों में चर्चा का विषय बना रहता है कि यह सभी थानाध्यक्ष के करीबी हैं तथा इनका स्थानांतरण थाना अध्यक्ष की कृपा से संभव नहीं है। 









                           रिपोर्टर महेश कुमार

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